जिले के अजयपाल बाबा मंदिर, गौरी कुंड, चौरसियावास तालाब, आनासागर, फायसागर, चश्मा ए नूर, नरवर, मदार, हाथीखेड़ा, नसीराबाद और अन्य इलाकों में जलाशयों के निकट वन कर्मियों ने मोर्चा संभाला। इसी तरह किशनगढ़ में गूंदोलाव झील, ब्यावर में सेलीबेरी, माना घाटी, पुष्कर में गौमुख पहाड़, बैजनाथ मंदिर, नसीराबाद में सिंगावल माताजी का स्थान, माखुपुरा नर्सरी के निकट, कोटाज वन खंड, सरवाड़ में अरवड़, अरनिया-जालिया के बीच, नारायणसिंह का कुआं, सावर-कोटा मार्ग और अन्य वाटर हॉल पर गणना हुई। उप मुख्य वन संरक्षक सुदीप कौर सहित रेंजर, फॉरेस्ट के साथ वन्य जीव प्रेमियों और कार्मिकों ने मोर्चा संभाला। वन्य जीवों की फोटो भी खींचे गए।
पैंथर-बघेरे पर रही खास निगाहें वन कर्मियों की पैंथर पर खास निगाहें रहीं। बीते चार-पांच महीने में ब्यावर, अंधेरी देवरी, मसूदा-जवाजा क्षेत्र में पैंथर, बघेरे देखे गए हैं। वही वन विभाग को पिछले चार-पांच साल में गणना के दौरान पैंथर नहीं दिखे हैं। साल 2016 में तारागढ़ हैप्पी वैली और 2017 में कल्याणीपुरा क्षेत्र में पैंथर दिखा था। मालूम हो कि विभाग वन्य जीव गणना में पैंथर की संख्या लगातार कम हो रही है।
इन वन्य जीवों को किया चिन्हित
अधिकृत सूत्रों के मुताबिक गणना के दौरान जिले में पैंथर, बघेरे, लोमड़ी, सियार, हिरण, चीतल, सांभर, चौसिंगा, कम दिखाई दिए। इसके विपरीत खरगोश, रेड हैडेड वल्चर, मोर, जल मुर्गी, बुलबुल, बतख, नीलकंठ, छोटा और बड़ा बिज्जू, नेवले, साही, मोर, नीलगाय और अन्य वन्य जीव ही ज्यादा दिखाई दिए हैं। इनकी अधिकृत संख्या कार्मिकों की रिपोर्ट सौंपने के बाद सामने आएगी। मालूम हो कि कुछेक जलाशयों को छोडकऱ मगर, घडिय़ाल तो जिले में लगभग समाप्त हो चुके हैं।