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अजमेर

गंदगी से अटे नाले, एस्केप चैनल में पानी की जगह मलबा, कैसे सुधरे रैंकिंग

– एस्केप चैनल मरम्मत को था 18 करोड़ का बजट – कचरा प्रबंधन भी संतोषजनक नहीं – आनासागर भी नहीं कर सके साफ
स्मार्ट सिटी बनाने के लिए शहर में राज्य व केन्द्र के सहयोग 1000 करोड़ रुपए खर्च होने को हैं, लेकिन न तो शहर स्मार्ट बना न ही स्वच्छ। स्मार्ट सिटी में यातायात सुगम करने के लिए 250 करोड़ की लागत से बने एलिवेटेड रोड के बाद भी शहर की यातायात व्यवस्था बदहाल है।

अजमेरJan 12, 2024 / 11:34 pm

Dilip

गंदगी से अटे नाले, एस्केप चैनल में पानी की जगह मलबा, कैसे सुधरे रैंकिंग

गंदगी से अटे नाले, एस्केप चैनल में पानी की जगह मलबा, कैसे सुधरे रैंकिंग

दिलीप शर्मा

स्मार्ट सिटी बनाने के लिए शहर में राज्य व केन्द्र के सहयोग 1000 करोड़ रुपए खर्च होने को हैं, लेकिन न तो शहर स्मार्ट बना न ही स्वच्छ। स्मार्ट सिटी में यातायात सुगम करने के लिए 250 करोड़ की लागत से बने एलिवेटेड रोड के बाद भी शहर की यातायात व्यवस्था बदहाल है। वहीं कई करोड़ रुपए खर्च करने के बावजूद न तो एस्केप चैनल की मरम्मत हुई न ही उसकी सफाई। जिसके चलते अजमेर शहर स्वच्छता रैंकिंग में 138 से गिरकर 214 पर आ गया।
शहर को स्मार्ट बनाने के जिम्मेदार विभागों में अजमेर स्मार्ट सिटी लिमिटेड, राजस्थान राज्य सड़क विकास निगम, सार्वजनिक निर्माण विभाग, नगर निगम शामिल हैं। इन विभागों के जरिये ही करोड़ों रुपए खर्च किए गए हैं। साफ-सफाई के मामले में सबसे बड़ी जिम्मेदारी स्मार्टसिटी मिशन के एसीईओ के दफ्तर नगर-निगम की है। स्वच्छता रैंकिंग की गिरावट इस दफ्तर की नाकामी की मुंह बोलती मिसाल है। नगर निगम के पूर्व अधिकारी ने बड़े-बड़े दावों के बावजूद क्या किया यह मौजूदा रैंकिंग बता रही है और मौजूदा अफसर की पारी फिलहाल शुरू हुई है।
शहर में कचरा सेग्रिगेशन संयंत्र का इंतजार

शहर में सॉलिड वेस्ट प्रबंधन को दुरुस्त नहीं किया गया है। कचरा प्रबंधन में लापरवाही पर कई राज्यों में करोड़ाें के जुर्माने एनजीटी ने लगाए हैं। अजमेर के सेदरिया डंपिंग यार्ड पर कचरे के ढेर लगे हैं। यहां कचरे को विभक्तिकरण करने के लिए कई करोड़ रुपए का सेग्रिगेशन प्लांट के कार्यादेश कई माह पहले जारी होने के बावजूद अभी तक कई शर्तों के चलते संयंत्र स्थापित नहीं किया जा सका है। नियमानुसार 50 प्रतिशत कचरे का निस्तारण होना चाहिए लेकिन शहर में अभी गीले-सूखे कचरे को अलग करने का कोई प्रबंध नहीं है।
आंकडों की जुबानी

कुल वार्ड – 80

आबादी – 6 लाख

प्रतिदिन कचरा – 2.5 से 3.5 टन

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इनका कहना है

गीले-सूखे कचरे के सेग्रिगेशन के लिए 500 टन क्षमता का करीब 20 करोड़ का संयंत्र स्मार्ट सिटी को लगाना है। गत वर्ष भी निगम यह कार्य करना चाहता था। इसमें कचरे का परिवहन आदि शर्ताें में कचरा परिवहन 50 रुपए टन में दे रहा था। जबकि दूसरी फर्म इसके लिए 450 रुपए प्रतिटन मांग रही है। स्वच्छता जागरूकता के लिए एनजीओ व आमजन को भी आगे आना चाहिए। यदि संयंत्र लग जाता तो रैंकिंग और बेहतर होती। फिलहाल अब नई सरकार से गाइड लाइन मिलने के बाद कार्रवाई होगी।ब्रजलता हाड़ा, महापौर, नगर निगम अजमेर।
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इनका कहना है

हाल ही में पदभार संभाला है। सभी प्रकरणों का गहनता से अध्ययन किया जा रहा है। कहां लापरवाही है उसे दुरुस्त किया जाएगा। बेहतर विकल्प तलाशे जाकर शहर को स्वच्छ बनाने के प्रयास किए जाएंगे।
देशल दान चारण, आयुक्त नगर निगम अजमेर।

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