सचिव ने करवाया हैंड टेकओवर आईटी कंपनियों के घमासान के बीच एडीए सचिव की मध्यस्थता में यथास्थिति कार्य सुपुर्द करवा दिया गया। प्राधिकरण दोनों कंपनियां पिछले सात दिनों से काम नहीं कर पा रही थी। पुरानी कंपनी जांच व ऑडिट कराए जाने से परहेज कर रही थी। नई कम्पनी इसके बिना काम लेने को तैयार नहीं थी। निविदा शर्तों के अनुसार जांच का का खर्च पुरानी कंपनी को भुगतना था इसलिए व रूचि नहीं ले रही थी। कंपनी मेंटेनेंस का नाम लेकर पल्ला झाड़ रही है जबकि सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट व ग्रेडेशन कार्य भी उसमें शामिल था।
आंखों में झोंकी गई धूल करोड़ों रुपए के मेंटेनेंस करने वाली कंपनी एडीए अधिकारियों की की आंखों में खुलेआम धूल झोंक गई। कंपनी ने सॉफ्टवेयर का भारत सरकार के मानकीकरण परीक्षण एवं गुणवत्ता प्रमाणन निदेशालय से जांच नहीं करवाई। सुरक्षा का हवाला देकर कंपनी जांच नहीं करवाती थी। वायरस के कारण सरवर रीस्टार्ट हो रहा था और एडीए कर्मचारियों तथा आमजन को परेशानी उठानी पड़ती थी।
थर्डपाटी जांच के सैम्पल लिए देरी से ही सही लेकिन अब प्राधिकरण की आंखें खुली हैं और आईटी कार्य की थर्डपार्टी जांच के लिए सैंपल लिए गए हैं,मगर प्रारंभिक रिपोर्टों में ही पोल पट्टी खुल गई है। कंपनी द्वारा एडीए की आंखों में धूलझोंक कर कॉपी सॉफ्टवेयर से काम चलाया जा रहा था और एडीए के सरवर और डाटासेंटर में वायरस होने के उपरांत भी इसे छुपाया जा रहा था।
नहीं मानी यूडीएच की बात नगरीय विकास विभाग पिछले दो साल से एडीए को एसएसओ आईडी के जरिए ई-ऑक्शन के आदेश देता रहा। लेकिन पुरानी कंपनी के एकाधिकार के कारण जमीनों की नीलामी यूडीएच पर नहीं जा पाई। पूर्व कमिश्न के निर्देश पर इस वर्ष जनवरी में से यूडीएच पोर्टल के जरिए एडीए की नीलामी शुरु हुई। पूर्व की नीलामी प्रक्रिया भी संदेह के घेरे में हैं।
इनका कहना है कार्यभार हस्तांतरण तक एडीए सर्वर के संचालन की जिम्मेदारी ई-कनेक्ट की थी। थर्डपार्टी जांच पर लिखित सहमति बनी है। हमारे पास पुरानी कम्पनी का 6 लाख रूपया शेष है,पेनाल्टी भी लगाई गई है। जांच में गड़बड़ी पाए जाने पर मामले को भी एसीबी को भी दिया जा सकता है।
किशोर कुमार, सचिव, अजमेर विकास प्राधिकरण 30 तारीख तक हमारी जिम्मेदारी थी। उसके बाद के बारे मैं नहीं कह सकता। आज जूम मीटिंग,थी वायरस आ सकता है। हमारे सॉफ्टवेयर लाइसेंसी हैं। मोहम्मद जावेद, प्रोजेक्ट मैनेजर,ई-कनेक्ट एडीए