नमक मार्च, दांडी सत्याग्रह के रूप में भी जाना जाता है। ये कानून भंग करने के बाद सत्याग्रहियों ने अंग्रेजों की लाठियां खाई थी, परंतु पीछे नहीं मुड़े थे। 1930 को गांधी जी ने इस आंदोलन का चालू किया। आंदोलन में गांधी के साथ सरोजनी नायडू ने नमक सत्याग्रह का नेतृत्व किया।
दाण्डी यात्रा के समापन जिला कलक्ट्रेट परिसर में स्थित गांधी प्रतिमा पर माल्यापर्ण कर रघुपति राघव राजाराम तथा भजन वैष्णव जन तो तैने कहिये का प्रसारण किया गया। गांधीजी के सत्य अहिंसा के आदर्श का दुनियाभर के लोग उल्लेखनीय योगदान मानते है। गांधी के आदर्श मन, वचन व कर्म से किसी को कष्ट न पहुंचाना ही अहिंसा है। सर्वधर्म समभाव, पंथ निरपेक्षता की भावना को प्रोत्साहित कर इंद्रिय संयम रखकर सदाचार अपनाते हुए अपना जीवन जीना चाहिए। उन्होंने चारित्रिक शिक्षा पर विशेष जोर देते हुए नैतिक मूल्यों को अपनाने पर जोर दिया, यही गांधी दर्शन है।
साईकिल रैली गांधी पार्क से प्रारम्भ होकर सब्जी मण्डी, हनुमान तिराहा, लाल बाजार, सराय गजरा से जगन टॉकीज, हरदेव नगर से नगर परिषद पर समापन हुआ। इस दौरान गांधी के सिद्धांतों का प्रचार-प्रसार भी किया गया। स्वतन्त्रता आन्दोलन में शहीद हुए महापुरूषों के नारे लगाते हुए युवा पीढ़ी को जागरूक करने के लिए देशभक्ति भावना पर बल दिया गया। इस अवसर पर गांधी दर्शन समिति के संयोजक दुर्गादत्त शास्त्री, सह-संयोजक धर्मेन्द्र शर्मा, कांग्रेस प्रवक्ता धनेश जैन ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद चेतन चौहान, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बचन सिंह मीणा, डीएफओ केसी मीणा, एसडीम भारती भारद्वाज, पीएमओ समरवीर सिकरवार, एडीपीसी मुकेश गर्ग सहित अन्य अधिकारी व गांधी दर्शन समिति के सदस्य, गांधीवादी उपस्थित रहे