अजमेर(Ajmer News). पुलिस कप्तान की ओर से वायरलेस पर जवानों से मोटिवेशनल स्पीच देने के चंद घंटे बाद शनिवार रात पुलिस लाइन में एक सिपाही ने आत्महत्या का प्रयास किया। वह पेड़ पर फंदे पर लटका मिला। उसको जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया है। प्रारंभिक पड़ताल में सामने आया कि सिपाही जयपुर जिला पुलिस का है। भ्रष्टाचार के मामले में ट्रेप होने के बाद उसे जिला बदर किया गया था। घटना के समय वह शराब पीए हुए था।
पुलिस के अनुसार जयपुर जिला पुलिस के जवान सुरेश यादव ने पुलिस लाइन के वाटर टैंक के पास फंदे पर लटक कर जान देने का प्रयास किया। वहां घूम रहे जवानों की नजर उस पड़ गई। उन्होंने उसे फंदे से उतार जवाहर लाल नेहरू अस्पताल पहुंचाया। उसको इमरजेंसी मेडिकल यूनिट (ईएमयू) में भर्ती करवाया गया, जहां सिपाही की हालत गंभीर बनी हुई है। सूचना पर एसपी कुंवर राष्ट्रदीप, एएसपी (शहर) सुरेन्द्रकुमार भाटी, सीओ(उत्तर) डॉ. प्रियंका रघुवंशी अस्पताल पहुंचे। देर रात तक पुलिस अधिकारियों सिपाही की सेहत पर नजर बनाए हुए थे। मामले में उन्होंने कुछ बोलने से इन्कार कर दिया।
अवसाद में था सिपाही! प्रारंभिक पड़ताल में सामने आया कि सिपाही सुरेश यादव को भ्रष्टाचार के मामले में साढ़े तीन साल निलंबित रहने के बाद जिला बदर करते हुए अजमेर पुलिस लाइन में तैनाती दी गई थी। वह अपने जयपुर में पदस्थापन को लेकर अवसाद में था। पुलिस मामले की पड़ताल में जुटी है।
एक सप्ताह में चौथा मामला राजस्थान पुलिस में बीते एक सप्ताह आत्महत्या और आत्महत्या के प्रयास का यह चौथा मामला है। विगत 23 मई को चूरू के राजगढ़ थानाप्रभारी विष्णुदत्त विश्नोई ने फांसी लगाकर जान दी थी। इसके बाद 26 मई को श्रीगंगानगर में गार्ड कमांडर जसविन्दर सिंह ने ड्यूटी के दौरान सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मार ली। वहीं 30 मई शुक्रवार को दौसा में हैडकांस्टेबल गिरिराजसिंह ने अपने क्वार्टर में फांसी लगाकर जान दे दी। हालांकि आत्महत्या के तीनों मामले में पुलिस पर ड्यूटी व बाहरी दबाव की बात निकलकर सामने आई थी।
अजमेर में ना आए कोई मामला एसपी कुंवर राष्ट्रदीप ने पुलिस वायरलेस पर मैसेज से तमाम पुलिस अधिकारियों व थानाधिकारियों को सूचित किया कि राजस्थान में कुछ दिन से पुलिसकर्मियों ने आत्महत्या की है। उन्होंने अपने अधीनस्थ कर्मचारियों से व्यक्तिगत बातचीत करें। उनकी परेशानी का समाधान का प्रयास करे। आत्महत्या जैसा कदम उठाने के लिए मजबूर ना हों। उन्होंने कहा कि अजमेर में एक भी ऐसा मामला नहीं आना चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले दो माह से पुलिस लगातार काम कर रही है। इससे मानसिक दबाव भी हो सकता है। पारिवारिक परेशानी भी सामने आ सकती है। पुलिसकमियों की परेशानी जानकर उन्हें अवकाश देंवे, काउंसलिंग कर परेशानी का समाधान करना हमारी जिम्मेदारी है। पुलिसकर्मी परेशानी लेकर एसपी ऑफिस आना चाहता है तो उसका स्वागत है लेकिन वह किसी आत्महत्या जैसा कदम ना उठाए। पुलिस महकमा उनके साथ है। परेशान होने की जरूरत नहीं है। अपनी समस्या शेयर करे।