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अजमेर

ये कैसी व्यवस्था : तीसरी मंजिल पर नन्हों की कक्षाएं, बस्ते लादकर चढ़ते सीढिय़ां

बस्ते के बोझ को बढ़ाने के साथ स्कूल में भी नहीं राहत : प्राइमरी स्कूल के बच्चों की कक्षाएं भूतल, प्रथम तल से भी ऊपरी मंजिल में

अजमेरAug 06, 2019 / 01:56 am

baljeet singh

Children's classrooms on the third floor, steps laden with bags

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अजमेर. शहर में संचालित कई निजी स्कूलों में प्राइमरी कक्षाओं में पढऩे वाले बच्चों की पीड़ा को कम करने की बजाय उन्हें बढ़ाया जा रहा है। हालात तो यह हैं कि प्राइमरी के बच्चों की कक्षाएं तो दूसरी एवं तीसरी मंजिल तक संचालित हो रही हैं जबकि बड़ी कक्षाओं के बच्चे भूतल एवं प्रथम तल पर बने कमरों में संचालित हो रहे हैं। ऐसे में मासूम बच्चे 7 से 10 किग्रा वजन के बस्ते के बोझ को ढोकर करीब 20 से 30 सीढिय़ां चढकऱ कक्षाओं तक पहुंचते हैं।
प्राइवेट स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों की ओर से अभिभावकों को पैर, कंधों एवं पीठ में दर्द की शिकायतें मिलने के बाद कुछ जागरूक अभिभावकों ने भी अपने बच्चों की कक्षाओं का अवलोकन किया। इसके तहत पाया गया कि कक्षा एक से छठीं तक पढऩे वाले बच्चों की कक्षाएं दूसरी से तीसरी मंजिल पर संचालित हो रही हैं। इस संबंध में पत्रिका की ओर से भी कुछ प्राइवेट स्कूलों में पड़ताल की तो सामने आया कि जो बच्चे छोटी कक्षाओं में पढ़ रहे हैं, उनकी कक्षाएं भी प्रथम व द्वितीय मंजिल पर बने कमरों में संचालित हो रही हैं। कक्षा पहली से पांचवीं में पढऩे वाले बच्चों ने बताया कि वे अपना बस्ता लेकर सीढिय़ां चढकऱ अपने क्लास रूम में पहुंचते हैं।

न लिफ्ट न कोई बस्ता ले जाने की व्यवस्था

शहर की कुछ प्राइवेट स्कूलों में छोटे बच्चों को दूसरी व तीसरी मंजिल तक लाने-ले जाने के लिए कोई लिफ्ट की सुविधा नहीं है। न ही कोई गार्ड या कर्मचारी बीमार या कमजोर बच्चों के बस्ते को कमरे तक पहुंचाने के लिए लगाया गया है। छोटे बच्चों की ओर से स्कूल प्रशासन की तो शिकायत नहीं दी गई मगर जब पेरेन्ट्स मीटिंग के लिए आमंत्रित किया जाता है तो कुछ ने इस समस्या से अवगत भी करवाया मगर किसी ने समाधान नहीं किया।

कैसे होगा बस्ते का बोझ कम!
शिक्षा मंत्री गोविन्दसिंह डोटासरा ने बस्ते के बोझ कम करने का प्लान तैयार कर लिया है मगर प्राइवेट स्कूलों की ओर से बस्ते के बोझ के साथ दूसरी व तीसरी मंजिल तक छोटे बच्चों पर अतिरिक्त बोझ की समस्या का समाधान नहीं खोजा गया है।
‘ग्राउंड फ्लोर पर ही हों कक्षाएं’

छोटे बच्चे अगर दो व तीन मंजिला स्कूल में लगातार सीढिय़ां चढकऱ क्लासरूम में जाते हैं तो बच्चों में घुटना का दर्द, कमर एवं पीठ दर्द गंभीर हो सकती है। यह बीमारी धीरे-धीरे बढ़ सकती है। छोटे बच्चों की कक्षाएं ग्राउंड फ्लोर पर ही होनी चाहिए।
-डॉ. हेमेश्वर हर्षवद्र्धन, अस्थि रोग विशेषज्ञ

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