कभी नहीं देखी होगी ,अजमेर की ऐसी खूबसूरत तस्वीरें
कोर्स से बना रहे दूरी।देश में साल 2004-05 तक इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स और सामान्य युवाओं में एमबीए के लिए जबरदस्त रुझान था नामचीन आईआईएम और निजी मैनेजमेंट संस्थानों, विश्वविद्यालयों और कॉलेज में एमबीए की सभी सीट भर जाती थी। पिछले 10-15 साल में स्थिति बदल गई है। एमबीए की डिग्री को विद्यार्थी और युवा ज्यादा तवज्जो नही दे रहे हैं। खासतौर पर बी.टेक डिग्री लेने वाले इंजीनियर्स भी यह कोर्स नहीं करना चाहते हैं। वैश्विक मंदी, अच्छे पैकेज नहीं मिलने, कम्पनियों-संस्थानों को मनमाफिक दक्ष युवा नहीं मिलना भी कोर्स से दूरी के बड़े कारण हैं।
महिला इंजीनियरिंग कॉलेज में बीते तीन सत्र से एमबीए में दाखिलों का ग्राफ शून्य है। बॉयज कॉलेज में भी 15 से 30 विद्यार्थियों के प्रवेश हो रहे हैं। प्रदेश के अधिकांश इंजीनियरिंग कॉलेज में संचालित एमबीए कोर्स में प्रवेश लगातार घट रहे हैं। अधिकांश संस्थानों में पूरी सीटें नहीं भर पा रही हैं। अजमेर के सावित्री कन्या महाविद्यालय, श्रमजीवी सहित कई कॉलेज में एमबीए कोर्स बंद करना पड़ा है। हालांकि महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में एमबीए की सीट पर प्रवेश नहीं घटे हैं। इसी तरह निजी विश्वविद्यालय में भी सीट भर रही हैं।