श्रीनगर ग्राम पंचायत के बीर गांव स्थित तालाब का निर्माण 1856 में हुआ था। दशकों तक तालाब का पानी आसपास के गांवों की प्यास बुझाने के साथ ही खेती-बाड़ी के भी काम आता था। किसी जमाने में दूर-दूर तक पानी होने के कारण जिले का सबसे लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट बन गया था। यहां पर सिंचाई विभाग का डाक बंगला भी बना हुआ है। जिसमें ठहरने के लिए सिफारिेशें तक करवानी पड़ती थीं। लेकिन वक्त के साथ ही तालाब के कैचमेंट एरिया में जगह-जगह एनीकट व नाडी निर्माण हो गया। बजरी के अवैध दोहन से पेटा छलनी होता चला गया। जिससे पानी गड्ढों में ही रुकने लगा। पिछले साल तालाब क्षेत्र में बारिश होने से एक फीट पानी आया था। लेकिन वह भी जल्दी ही सूख गया।
जानकारों के अनुसार पानी की आवक के रास्तों को खोले जाने पर ही इसका पुराना स्वरूप लौट सकता है।
तालाब में खोद दिए बोरिंग बीर तालाब की जमीन खातेदारी की होने के कारण उसमें भी जगह-जगह बोरिंग खुद गए हैं। राजस्थान पत्रिका की टीम ने बुधवार को तालाब में देखा की बोरिंग में से कुछ लोग पाइप आदि निकाल रहे थे। वहीं कुछ ही दूरी पर भी जीप खड़ी थी। वहां पर भी बोरिंग संबंधित काम हो रहा था। सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इसके लिए किसी प्रकार की स्वीकृति नहीं ली गई है।
तालाब में पानी नहीं आने के मुख्य कारण
– पालरा, बड़ल्या, दांता, श्रीनगर घाटी में नाडी व एनीकट का निर्माण – पानी आवक क्षेत्र में बजरी का अवैध दोहन
– चट्टानों में जगह होने से पानी का उन्हीं में रुक जाना
– कई साल से बारिश की कमी यह हो सकता है उपयोग
– बीसलपुर के पानी का स्टोरेज हो सकता है। – गांवों को सिंचाई के लिए पानी मिल सकता है।
– फिर बन सकता है बीर तालाब पिकनिक स्पॉट
– डाक बंगले का भी हो सकता है फिर से उपयोग
फैक्ट फाइल – 600 बीघा में बीर तालाब का फैलाव – 116.94 एमसीएफटी भराव क्षमता
– 216 मीटर वेस्ट वियर की लम्बाई – 30 फीट पूर्ण भराव क्षमता तालाब की
– 25 फीट पानी आया था 1980 में
– 17 फीट पानी 1996 में
– 08 फीट 2000 में इनका कहना है… बीर तालाब का गत दिनों मौका मुआयना किया था। तालाब की जमीन खातेदारी की है। उसमें पानी नहीं पहुंचने के कारणों की जानकारी ली गई है। पानी की आवक वाले रास्तों पर एनीकट बनने के कारण पानी नहीं पहुंच पा रहा है।
हेमंत शर्मा
एसई सिंचाई विभाग अजमेर