ऐसे हैं प्रदेश के हालात अजमेर(Ajmer) : निजी अस्पताल फैला रहे संक्रमण
अजमेर के सेदरिया में निजी फर्म के प्लांट में सरकारी व निजी अस्पतालों के वेस्ट पहुंचता है। रजिस्टर्ड कई अस्पताल हैं मगर प्रतिदिन कचरे का उठाव नहीं होता। इससे संक्रमण का खतरा बना रहता है। कई निजी अस्पताल खुले में वेस्ट डाल देते हैं। यहां से 6 कचरा संग्रहण बंद गाडिय़ों से प्लांट तक ठोस कचरा पहुंचाया जाता है, जबकि लिक्विड वेस्ट निस्तारण का कोई बंदोबस्त नहीं होने से नाले- नालियों में पहुंच रहा है।
जयपुर में आगरा रोड स्थित खोरी रोताड़ा गांव में बायोवेस्ट निस्तारण का प्लांट नगर निगम की ओर से स्थापित है, क्षमता 24 हजार पलंगों से आने वाले बायो वेस्ट की है। जिसमें सरकारी व निजी दोनों ही तरह के अस्पताल शामिल हैं। जयपुर में इस समय करीब 1 हजार छोटे बड़े निजी अस्पतालों में कम से कम 50 हजार पलंग हैं। जबकि निगम के पास निस्तारण का प्लांट केवल 24 हजार के लिए है।
भीलवाड़ा शहर में कोई बायो मेडिकल वेस्ट निस्तारण प्लांट नहीं है। भीलवाड़ा से अजमेर की सेल्स प्रमोटर कंपनी बंद गाड़ी में वेस्ट अजमेर स्थित प्लांट पर लेकर जाती है। सरकारी व निजी अस्पतालों में प्रतिदिन 720 किग्रा वेस्ट निकलता है।
कोटा में सरकारी अस्पताल व निजी अस्पताल से होजबीन फर्म की ओर से बायो मेडिकल वेस्ट उठाकर 88 किमी दूर झालावाड़ कंपनी के प्लांट पर निस्तारित किया जाता है। कोटा मेडिकल कॉलेज व बड़े निजी अस्पताल का कोई निस्तारण प्लांट संचालित नहीं है।
अजमेर के 67 अस्पताल, 71 निजी अस्पताल, क्लिनिक, लैब पंजीकृत हैं, प्रतिदिन 850 किग्रा वेस्ट प्लांट में आता है। वहीं भीलवाड़ा के 57 अस्पताल निजी एवं 42 सरकारी अस्पताल व 82 क्लिनिक व लैब पंजीकृत हैं।
लाल बाल्टी : इसमें प्लास्टिक का कचराआईवी सेट, ग्लूकोज की बोतल आदि को प्लांट में डाला जाता है। इसे केमिकल से संक्रमणरहित कर कचर से बारीक टुकड़े किए जाते हैं, बाद में यह प्लास्टिक का टुकड़ा इकाइयों में बिकता है।