दरगाह परिसर
( Ajmer Dargah ) में कई जायरीन झालरा, बड़ी देग, बुलंद दरवाजा, अकबरी मस्जिद आदि कई स्थानों पर बैठ कर या सो कर रात गुजारते हैं। दरगाह नाजिम शकील अहमद के अनुसार पिछले कुछ दिनों से कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा माहौल खराब किए जाने की शिकायतें आ रही थीं। इसे देखते हुए कमेटी, अंजुमन और पुलिस प्रशासन ने रात के समय इबादत और दुआ के लिए स्थान तय करने का निर्णय किया। जायरीन रात 11 बजे से सुबह 4 बजे तक केवल अहाता-ए-नूर, पांयती दरवाजा, जन्नती दरवाजा, शाहजहानी मस्जिद और संदली मस्जिद में ही इबादत के लिए बैठ सकेंगे। इन जगहों के अलावा कहीं भी जायरीन को सोने व बैठने नहीं दिया जाएगा।
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Ajmer Dargah ) में रात के समय रुकने पर पाबंदी लगाने के आदेश पूर्व नाजिम मंसूर अली खान ने भी जारी किए थे लेकिन उन्होंने इबादत के लिए स्थान तय नहीं किए। इस कारण इसका विरोध हुआ और नाजिम को बैकफुट पर आना पड़ा है। उन्होंने संशोधित आदेश जारी कर कहा है कि केवल भिखारी, नशाखोर और संदिग्ध व्यक्तियों को ही रात के समय दरगाह परिसर में नहीं रुकने दिया जाएगा। इबादत के लिए रुकने वालो के लिए कोई पाबंदी नहीं रहेगी। पूर्व नाजिम खान ने अप्रेल 2017 में यह आदेश जारी किए थे कि रात को आस्ताना मामूल होने के एक घंटे बाद से कोई भी व्यक्ति दरगाह परिसर (
Ajmer Dargah ) में नहीं रुक सकेगा। इबादत के लिए कोई रुकना चाहे तो उसे निर्धारित फार्म भर कर शाम 5 बजे तक दरगाह नाजिम से स्वीकृति लेनी होगी। इन आदेशों के तहत रात 11 बजे से दरगाह कमेटी कर्मचारियों ने दरगाह परिसर में बैठे जायरीन को बाहर निकालना शुरू कर दिया। इससे हंगामा खड़ा हो गया। कई खादिमों ने भी इसका विरोध किया। राजस्थान पत्रिका में इस आशय के समाचार प्रकाशित होने के बाद नाजिम ने संशोधित आदेश जारी किए।