उन्होंने कहा कि इस तरह का विरोध करने वाले सिर्फ देश का माहौल खराब करने मंशा रखते हैं। पठान ने कहा कि कायड़ विश्राम स्थली पर हिन्दू-मुस्लिम सभी समाज के लोग ठहरते हैं। इस्लाम ने सभी धर्मों का मान-सम्मान करने की सीख दी है।
पठान ने कोटा का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां कायस्थ समाज की धर्मशाला है, उसे मुस्लिम भी फातेहा आदि के लिए काम में लेते हैं। अजमेर सहित देश में ऐसे कई स्थान हैं जहां हिन्दू-मुस्लिम अपने धार्मिक कार्यक्रम करते हैं, ऐसे में इस तरह का विरोध सही नहीं। गौरतलब है कि कायड़ विश्राम स्थली में पिछले दिनों भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी ने भूमि पूजन किया। इसे लेकर मुस्लिम एकता मंच ने विरोध किया।
मामले को लेकर हाल ही एक बैठक खादिम फकर काजमी की अध्यक्षता में हुई। इसमें कहा गया कि कायड़ विश्राम स्थली दरगाह की वक्फ सम्पत्ति है। इस पर पूजा पाठ करवा कर धार्मिक भावनाएं भडक़ाने की कोशिश की गई, जिससे मुस्लिम समाज में रोष है। बैठक में दरगाह कमेटी के खिलाफ दारूल उलुमो से फतवे मंगवाने का भी निर्णय किया गया।
चिडिय़ा, गिलहरी और मच्छर भी बोलते नजर आएंगे सिंधी… मौजूदा समय में लाख टके का सवाल। इस शहर में हम सिंधी आखिर है कितने। फिलहाल चर्चाएं तो सिंधी मतदाताओं को लेकर चल रही है। आप तो बिना सोचे समझो कह देंगे एक लाख से भी ज्यादा सिंधी मतदाता है। लेकिन आपके सोचने अैर बोलने से होता ही क्या है।
सिंधियों के अपने आंकड़े है तो गैर सिंधियों के उनसे जुदा हिसाब किताब है। इस बार यह खामंखाह का मुद्दा उठाने का मकसद यह है कि विधानसभा चुनाव सर पर हैं। सभी जाति समुदाय अपने बाहुल्य वाली सीटों पर कब्जा जमाने के लिए लामबद्व हो चुके हैं। जैसा कि अब तक का राजनैतिक रिवाज चला आ रहा है कि जिस क्षेत्र में जिस जाति का बाहुल्य होगा टिकट भी उसी को मिलेगा।