जिस तरह दिल्ली में स्मॉग का स्तर बढऩे से प्रदूषण खतरनाक हो चुका है। उसी तरह अजमेर भी धीरे-धीरे प्रदूषित शहर बनने की तरफ अग्रसर है। यहां दोपहिया, तिपहिया, चौपहिया वाहनों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इनसे निकलने वाला जहरीला धुआं शहर की हरियाली और लोगों की सेहत बिगाड़ रहा है। शहर में मदार गेट, स्टेशन रोड, आगरा गेट, वैशाली नगर-आदर्श नगर, श्रीनगर रोड पर सर्वाधिक यातायात का दबाव रहता है।
हैरत की बात है, कि जयपुर, मुंबई और अन्य शहरों में जगह-जगह प्रदूषण मापने के स्वचलित यंत्र लग चुके हैं। पेट्रोल-डीजल पम्प पर प्रदूषण की जांच होती है। दिल्ली में तो सम-विषम फार्मूले पर वाहन चलाने का प्रयोग हो चुका है। अजमेर में जहरीले धुएं के मापन और प्रदूषण रोकथाम के कोई उपाय नहीं किए जा रहे हैं।
नियमित नहीं नापते प्रदूषण स्तर अजमेर संभागीय मुख्यालय है। इसके बावजूद सरकार ने किशनगढ़ में प्रदूषण मंडल कार्यालय की स्थापना की है। मंडल कार्यालय सिर्फ मार्बल औद्योगिक इकाइयों का प्रदूषण स्तर नापता है। अजमेर में प्रदूषण का नियमित मापन के कोई इंतजाम नहीं है। शहर में 2 इंजीनियरिंग कॉलेज, महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, पर्यावरण संरक्षण से संबंधित संस्थाएं कार्यरत हैं। संस्थाओं के स्तर पर भी ऐसी कोई पहल नहीं हो रही है।
बेतहाशा बढ़ रहे वाहन
शहर में वाहनों की संख्या साल दर साल बढ़ रही है। वर्ष 2000-01 में अजमेर में परिवहन से पंजीकृत वाहनों की संख्या 2.5 लाख के आसपास थी। बीते 18 साल में यह तादाद बढकऱ 8 लाख तक पहुंच गई है। यदि इसमें मई 2019 तक पंजीकृत दोपहिया, तिपहिया, चौपहिया वाहनों की संख्या जोड़ें तो संख्या 9.50 लाख तक पहुंच सकती है।बनाएं बॉक्स…वन क्षेत्र बढऩे का दावा
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की द्वि-वार्षिक रिपोर्ट की मानें तो अजमेर जिले के वन क्षेत्र में 13 वर्ग किलोमीटर की बढ़ोतरी हुई है। इसके अनुसार देश में 2015 में कुल वन क्षेत्र 7.01 लाख वर्ग किलोमीटर था। वहीं यह 2017 में बढकऱ 7.08 वर्ग किलोमीटर हो गया है। रिपोर्ट के अनुसार अजमेर जिले में भी 13 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र बढ़ा है।