scriptअजमेर शरीफ विवाद को लेकर दरगाह दीवान ने पहली बार रखा अपना पक्ष, बोले-कच्ची कब्र के नीचे कैसे होगा मंदिर? | ajmer sharif dargah controversy, Dargah Diwan presented his side for the first time | Patrika News
अजमेर

अजमेर शरीफ विवाद को लेकर दरगाह दीवान ने पहली बार रखा अपना पक्ष, बोले-कच्ची कब्र के नीचे कैसे होगा मंदिर?

Ajmer Sharif Dargah: दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका कोर्ट द्वारा स्वीकार करने के बाद पहली बार दरगाह दीवान ने अपना पक्ष रखा है।

अजमेरNov 30, 2024 / 08:46 am

Suman Saurabh

ajmer sharif dargah controversy, Dargah Diwan presented his side for the first time
अजमेर। ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में मंदिर होने को लेकर दायर याचिका के मामले में शुक्रवार को दीवान सैयद जैनुअल आबेदीन ने पहली बार अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि जेपीसी सहित हाईकोर्ट के आयोग एवं केंद्र सरकार की रिपोर्ट संसद के पटल पर है। सरकार अपनी रिपोर्ट से पलट नहीं सकती है। हम वकीलों के पैनल से चर्चा कर कोर्ट में जवाब पेश करेंगे।
दीवान ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश गुलाम हसन की कमेटी ने 1955 में संसद को रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें कहा गया कि सदियों पूर्व यह कच्चा मैदान था। पहले कच्ची कब्र थी। 14वीं सदी में महमूद खिलजी के वक्त मजार शरीफ पर पक्का निर्माण, जन्नती दरवाजा बनवाया गया। 1961 में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश गजेंद्र गड़कर का फैसला और फरवरी 2002 में संसद की जेपीसी की रिपोर्ट भी राज्यसभा के पटल पर है। 1829 में ब्रिटिश कमिश्नर कवंडस, कर्नल जेम्स टॉड ने भी दरगाह की प्रमाणिकता की रिपोर्ट पेश की।
शारदा से जुड़ी किताब के सवाल पर दीवान आबेदीन ने कहा कि हरविलास शारदा इतिहासकार नहीं बल्कि शिक्षाविद् थे। उन्होंने 1910 में किताब लिखी। इसमें लिखा कि ट्रेडिशन सेज…. ऐसा कहा अथवा सुना जाता है..कि यहां कोई मंदिर या निर्माण था। लेकिन इसमें कोई प्रमाण नहीं दिया गया है।
यह भी पढ़ें

दरगाह में मंदिर के दावे पर मदन दिलावर का बड़ा बयान, बताया कैसे होगा निर्णय?

दरगाह का इतिहास 800 साल पुराना

इससे पहले, दरगाह ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका को लेकर दीवान जैनुअल आबेदीन के पुत्र सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि दरगाह का इतिहास 800 साल पुराना है। सदियों पूर्व राजा-महाराजा, मुगल बादशाह आदि यहां आते रहे हैं। यह देश के साथ दुनिया को सौहार्द का संदेश दे रही है। अब इसमें शिव मंदिर होने को लेकर याचिका दायर की गई है। देश की प्रत्येक मस्जिद में मंदिर होने को लेकर लगातार दावे किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार को ऐसे दावे करने वाले कतिपय व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।

कोर्ट ने स्वीकार की हिंदू पक्ष की याचिका

उल्लेखनीय है कि राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित विश्वप्रसिद्ध ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा करते हुए हिंदू पक्ष ने अजमेर सिविल न्यायालय पश्चिम में याचिका दायर की। बुधवार 27 नवंबर को कोर्ट ने दरगाह में मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका को स्वीकार किया और इससे संबंधित अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी अजमेर और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) को नोटिस देकर पक्ष रखने को भी कहा है। इस मामले में कोर्ट 20 दिसंबर को अगली सुनवाई करेगी।

Hindi News / Ajmer / अजमेर शरीफ विवाद को लेकर दरगाह दीवान ने पहली बार रखा अपना पक्ष, बोले-कच्ची कब्र के नीचे कैसे होगा मंदिर?

ट्रेंडिंग वीडियो