बता दें कि विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह का इतिहास 812 वर्ष पुराना है। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से
अजमेर दरगाह को लेकर याचिका दायर की गई जिसमें दरगाह परिसर में कभी एक वक्त संकट मोचन शिव मंदिर हुआ करता था, ऐसा बताया गया है। साथ ही याचिका में मांग की गई है कि दरगाह का भारतीय पुरात्व सर्वेक्षण से सर्वे करवाया जाए, फिर परिसर में हुए अतिक्रमण को हटाया जाए और आखिर में इसे मंदिर घोषित करके पूजा करने का अधिकार दिया जाए।
AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने किरण रिजिजू से पूछा सवाल
AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिला आकाउंट एक्स पर ट्वीट कर किरण रिजिजू से कई सवाल पूछे हैं। उन्होंने लिखा- भारतीय मुस्लिमों के लिए ख्वाजा चिश्ती कल और आज भी एक मार्गदर्शक हैं। उनकी दरगाह संभवतः मुसलमानों के लिए सबसे अधिक देखे जाने वाले
आध्यात्मिक स्थलों में से एक है।
इस पोस्ट में उन्होंने केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू को टैग किया और उनसे पूछा है कि अल्पसंख्यक मंत्रालय का अजमेर दरगाह विवाद मामले पर क्या रुख है? क्या वे दरगाह ख्वाजा साहिब अधिनियम 1955 और 1991 के पूजा स्थलों के अधिनियम के साथ खड़े रहेंगे? क्या मंत्रालय द्वारा इन कानूनों को लागू किया जाएगा?
AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि 1955 के अधिनियम के तहत एक ‘लोक सेवक’ मोदी सरकार के वक्फ विधेयक की सराहना कर रहा है। इस मुकदमे पर अल्पसंख्यक मंत्रालय क्या रुख है? उन्होंने कहा कि वक्फ विधेयक हमारे पूजा स्थलों को अतिक्रमण और अपवित्रीकरण के लिए असुरक्षित बना देगा।
कांग्रेस नेता प्रताप सिंह खाचरियावास ने उठाए सवाल
कांग्रेस नेता प्रताप सिंह खाचरियावास ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह डर और धर्म की राजनीति करती आ रही है। पीएम से लेकर सीएम तक सभी अजमेर शरीफ में चादर पेश करते हैं। इससे बड़ा सबूत कुछ और हो नहीं सकता। वहीं, ओवैसी की ओर से मुस्लिम धार्मिक स्थलों पर मंडरा रहे खतरे के सवाल पर उन्होंने कहा कि संविधान ने सभी धर्म को स्वतंत्रता दी है, इसलिए संविधान को ताक पर रखकर अगर कोई पार्टी कम कर रही है तो वह भाजपा है।