उन्होंने कहा कि 11वीं सदी में बनी दरगाह के इतिहास को लेकर दावे किए जा रहे हैं। यूपी की सम्भल जैसी घटना हम
राजस्थान में नहीं होने देंगे। सरकार को सौहार्द बिगाड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। गुढ़ा ने कहा कि ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह अगर विवादित है तो यहां क्यों देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और दूसरे देश के राष्ट्रपति चादर चढ़ाते हैं? वहीं दरगाह दीवान जैनुअल आबेदीन के पुत्र सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह का इतिहास 800 साल पुराना है। सदियों पूर्व राजा-महाराजा, मुगल बादशाह, ब्रिटिश अधिकारी यहां आते रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सदियों से प्रत्येक मजहब के लोग जियारत को आ रहे हैं। यह देश-दुनिया को सौहार्द का संदेश दे रही है। अब इसमें शिव मंदिर होने को लेकर याचिका दायर की गई है। देश की प्रत्येक मस्जिद में मंदिर होने को लेकर लगातार दावे किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार को ऐसे दावे करने वाले कतिपय व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। यूपी के सम्भल में हुई घटना में कई लोगों की मौत हुई है। ऐसे मामलों को गंभीरता से लेना चाहिए।
इतिहास का करें अध्ययन, भाईचारे का हो प्रयास: राठौड़
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि अजमेर दरगाह शरीफ का मामला न्यायालय में विचाराधीन है। ऐसे में इस संबंध में किसी प्रकार की टिप्पणी करना उचित नहीं होगा। इतिहास गवाह है मुगलों ने भारत में आकर लूट मचाई, धार्मिक स्थलों को क्षतिग्रस्त किया और हमारे धार्मिक स्थलों पर कब्जा तक कर लिया। ऐसे में इतिहास का अध्ययन सभी को करना चाहिए और उसके अनुसार स्वयं को आगे बढ़कर ऐसा निर्णय करना चाहिए, जिससे भाईचारा बना रहे। राठौड़ ने कहा कि हिन्दुस्तान में कई ऐसी बेमिसाल इमारतों को मुगलों ने क्षतिग्रस्त किया। उन पर कब्जा किया, लेकिन न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला दिया। इधर, पीयूसीएल ने कहा कि इतिहास, परंपरा और सौहार्द को नहीं जानने वाला व्यक्ति सस्ती लोकप्रियता पाने की कोशिश कर रहा है।
अजमेर दरगाह पर ओवैसी ने भी दिया बयान
अजमेर दरगाह केस मामले पर एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा- दरगाह पिछले 800 सालों से यहीं है। नेहरू से लेकर सभी प्रधानमंत्री दरगाह पर चादर भेजते रहे हैं। बीजेपी-आरएसएस ने मस्जिदों और दरगाहों को लेकर इतनी नफरत क्यों फैलाई है?