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अजमेर

Ajmer Anasagar : आनासागर में 13 नहीं 20 फीट पानी

राजस्थान पत्रिका टीम ने नापी गहराई : मानसून में चार बार खोले जा चुके है एस्केप चैनल के गेट

अजमेरSep 10, 2019 / 11:56 am

himanshu dhawal

Ajmer Anasagar : आनासागर में 13 नहीं 20 फीट पानी

Ajmer Anasagar : आनासागर में 13 नहीं 20 फीट पानी

हिमांशु धवल

अजमेर. सुनने में अजीब जरूर लगेगा लेकिन ये सच है कि आनासागर झील (Anasagar lake) में वर्तमान में 13 फीट नहीं बल्कि 20 फीट पानी है। राजस्थान पत्रिका टीम (Rajasthan Patrika Team) ने झील की चार जगह पानी की गहराई नापी। इसमें साढ़े छह फीट तो कहीं पर 20 फीट पानी निकला, जबकि सिंचाई विभाग के लगे गेज के अनुसार झील में 13 फीट पानी होनी चाहिए। प्रशासन ने झील के एस्केप चैनल गेट (Escape channel gate) खोल रखे हैं जिसमें से लगातार पानी निकासी जारी है।
अजमेर के सौंदर्य का प्रतीक

आनासागर झील का निर्माण और अजमेर की स्थापना पृथ्वीराज चौहान (Prithvi Raj Chauhan) के पितामह अरणोराज या आणाजी चौहान ने बारहवीं शताब्दी के मध्य (1135-1150 ईस्वी) में करवाया था। यह झील करीब 13 किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई है। मनमोहक झील, बारादरी, दौलत बाग और सुभाष उद्यान के कारण यहां पर्यटकों की सालभर आवाजाही बनी रहती है। अब इसके चहुंओर चौपाटी बनने से इसकी सुंदरता में चार चांद लग गए हैं।
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अलग-अलग गहराई

– एस्केप चैनल गेट के पास 6.5 फीट

– बारादरी के पास 16.9 फीट

– बीच में टापू के पीछे 20 फीट
– वैशाली नगर चौपाटी की तरफ 18 फीट

फैक्ट फाइल

– 13 किमी परिधि क्षेत्र

– 70.55 वर्ग किमी कैचमेंट एरिया

– 247.64 एमसीएफटी भराव क्षमता

– 13 फीट गेज के अनुसार भरा पानी
– 4 बार खोले जा चुके है इस सीजन में चैनल गेट

– 1987 में सूखी थी पूरी झील, बनाया था टापू

-16.24 करोड़ से हुई खुदाई

संरक्षित झील है आनासागर
आनासागर झील की राष्ट्रीय झील संरक्षण कार्यक्रम (National Lake Conservation Program) के तहत 2008 से 2011 तक खुदाई की गई। इस पर करीब 16.24 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। इसमें से खुदाई कर मिट्टी को निकाला गया था जबकि झील पूरी तरह नहीं सूखी थी।
एक्सपर्ट व्यू

अजमेर शहर में सीवरेज लाइनें बिछाई गई है उसमें तकनीकी तथ्यों को नजर अंदाज किया गया है। आनासागर झील में कई वर्षो तक नालों के साथ बहकर आने वाले मानव मल और गंदगी ने इसके स्वरूप को बिगाड़ कर रख दिया है। गंदगी के चलते पानी बदबू मारने के कारण वहां पर सांस लेना तक मुश्किल हो जाता था। इस बार अच्छी बारिश होने और उसके चैनल गेट खुलने से स्थिति में सुधार हुआ है। बारिश के साथ नालों का कीचड़ और पहाड़ों से मिट्टी भी बहकर आती है। नालों से आने वाली गंदगी को रोका जाना चाहिए। इसे हैरिटेज का रूप दिया जा सकता है। हाईकोर्ट मॉनिटरिंग कमेटी की ओर से समय-समय पर दिए निर्देशों की भी पालना नहीं हो सकी है।
– सुनील सिंघल, सेवानिवृत्त अधीक्षण अभियंता

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