गरीब नवाज की दरगाह में पिछले कुछ दिनों से जायरीन को मटमैला पानी नसीब हो रहा था। राजस्थान पत्रिका में इस आशय की खबर प्रकाशित होने के बाद दरगाह कमेटी (
ajmer dargah) हरकत में आई। जानकारी मिलने पर दरगाह कमेटी सदर पठान ने सहायक नाजिम को फोन किया और तुरंत जलापूर्ति दुरुस्त कराने के निर्देश दिए। इसके बाद पाइप लाइन सही करवाई गई। पठान ने माना कि पिछले दो-तीन दिन से दरगाह में मटमैला पानी सप्लाई हो रहा था। वे फिलहाल अजमेर में नहीं हैं। जानकारी मिलते ही उन्होंने मामले की जांच करवाई। इसमें सामने आया है कि झालरा में साफ सफाई का कार्य चल रहा है। इसलिए पानी थोड़ा बहुत मटमैला हो गया। अब इसे सही करवा दिया गया है।
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दरगाह में गंदा पानी पीने को मजबूर जायरीन एक लाख लीटर पेयजल की खपत रोज 1 लाख लीटर पीने के पानी की खपत है दरगाह में
2 लाख लीटर पानी रोजाना काम आता है वजु के लिए
25 हजार लीटर पानी की खपत साफ -सफाई में
2 सबीले हैं, जिनमें 37 पानी के नल लगे हैं 150 लीटर के 9 वाटर कुलर में 18 पानी के नल लगे हैं
8 वजु खाने हैं जिसमें 160 पानी की नल लगी हैं
2 वजु के हौज़ हैं जिसमें एक वक्त में 80 लोग बैठ कर वजु कर सकते हैं READ MORE :
रात को कई स्थानों पर सोने व रुकने पर पाबंदी दरगाह में यह बताई पेयजल व्यवस्था दरगाह पिछले एक माह से पानी के एक मात्र प्राकृतिक स्त्रोत झालरा की सफाई का कार्य चल रहा है। सफाई के दौरान किसी तरह की दिक्कत नहीं हो, इसलिए बीस हज़ार लीटर पानी की पांच टंकियां रखवाई गई हैं। दरगाह में पानी की व्यवस्था पिछले आठ सौ साल से झालरा से की जा रही है। वर्तमान में झालरा के 2 ट्यूबवेलों और बीसलपुर के सात नल कनेक्शन से पानी सप्लाई किया जा रहा है। दरगाह कमेटी (
dargah committee) का दावा है कि झालरा से प्राप्त होने वाले रॉ वाटर को फिल्टर कर वजु, लंगर, देग के पकने में इस्तेमाल किया जाता है। झालरा के अंतिम रॉ वाटर को सफाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है।