राजनीति में आने के सवाल पर सिन्हा ने कहा कि 70-80 के दशक में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का देश में डंका बजता था। सत्तारूढ़ सियासी पार्टी के साथ राजनीति में कौन नहीं आना चाहता। दुर्भाग्य से इंदिरा गांधी नहीं रहीं। अगर वो आज जिंदा होतीं तो मैं निश्चित तौर पर कांग्रेस में ही होता। मेरा अटलबिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण अडवाणी, मित्र सुबोधकांत सहाय, कैलाशपति मिश्र और अन्य ने बहुत सहयोग किया। उन्होंने ही सत्ता पक्ष की बजाय विपक्ष से राजनीति की पारी शुरू करने की सलाह दी।
फिल्म काला पत्थर और दोस्ताना में अभिनय के दौरान अमिताभ बच्चन से खटपट के सवाल पर सिन्हा ने कहा कि वे हमारे नेशनल फेवरेट और बिग-बी हैं। कुछ जवानी का जोश, स्टारडम की खुमारी, खुद को बेहतर साबित करने की होड़ में मुझसे और अभिताभ से गलतियां हुई। यह सिर्फ फिल्मों तक सीमित रहा। वो आज भी हमारे अच्छे दोस्तों में शामिल हैं।
फिल्मों में शत्रुघ्न नाम रखने को लेकर सिन्हा ने रोचक किस्सा सुनाया। उन्होंने कहा कि प्रारंभिक फिल्मों में वो एस.पी. सिन्हा के नाम से आए। यह नाम किसी आईएएस की तरह लम्बा लगा। मेरे निर्देशक रहे मणिकौल ने मुझे सिर्फ शत्रुघ्न नाम रखने की सलाह दी। यह मुझे जांचा और रख लिया। लेकिन इसने देश में कई नाम दे डाले। दिल्ली में पहाडग़ंज, पटपडग़ंज की तरह मुझे क्षत्रुगंज, बंगाली क्षोत्रूघोन, पंजाबी क्षत्रुधन, पाकिस्तानी शुतुरमुर्ग सिन्हा के नाम से पुकारते हैं। असम में जाता हूं तो शलतुघ्न चियां, तमिल मुझे क्षत्रुघन्नाह…कहते हैं। मराठियों ने क्षत्रु बना दिया। लेकिन यह सब मेरे दिल के करीब हैं। नाम कुछ भी हो जीवन में आपका काम बड़ा होना चाहिए।
सिन्हा ने कहा कि हमारे घर का नाम रामायण है। मेरे बेटों के नाम लव-कुश है। तीनों भाइयों के नाम डॉ. राम सिन्हा, डॉ. लक्ष्मण सिन्हा, डॉ. भरत सिन्हा है। मैं उनकी तरह डॉक्टर छोड़ कम्पाउन्डर भी नहीं बन सका। लेकिन मेरी किस्मत में कुछ और बनना लिखा था। मुझे पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बनाया।
जयप्रकाश नारायण तत्कालीन परिस्थितियों में चले आंदोलन के प्रणेता और महानायक थे। पीएम नरेंद्र मोदी सक्रिय राजनीति में हैं इसीलिए वे नायक हैं। जो भी आंदोलन चलाते हैं, वे महानायक ही होते हैं। महात्मा गांधी ने भारतीय स्वाधीनता संग्राम में कई आंदोलन चलाए। वे महानायक कहे जाते हैं। पं. नेहरू, अबुल कलाम आजाद, सरदार पटेल आंदोलन के अलावा राजनीति में थे लिहाजा वे नायक ही थे। राजनीति और आंदोलन में महानायक और नायक की भूमिका अलग होती है। इन्हीं संदर्भ में यह बात शत्रुघ्न सिन्हा ने कही है।