सुभाष उद्यान में अंदर प्रवेश करने के बाद पत्रिका ने महापौर (mayor) धर्मेन्द्र गहलोत को फोन करके कैमरा शुल्क की जानकारी ली तो उन्होंने आश्चर्य जताया। उनका कहना था कि कैमरे का कोई शुल्क ही नहीं रखा गया है। पूरा माजरा समझने के बाद उन्होंने ठेकेदार को लताड़ लगाई तो ठेकेदार और उसके कर्मचारी पत्रिका टीम के पास पहुंचे और 200 रुपए लौटा दिए। साथ ही ठेकेदार ने कर्मचारियों को हिदायत भी दी कि आज से कैमरा शुल्क लेना बंद कर दें।
दरअसल छह रुपए के टिकट पर लिखा हुआ है कि सुभाष उद्यान में कोई अगर धूम्रपान करते हुए, शराब पीते हुए, डीएसएलआर कैमरा चलाते हुए या फूल तोड़ते पाया गया तो 1000 रुपए का जुर्माना वसूला जाएगा। ठेकेदार के लोग इसी की आड़ में यह वसूली कर रहे हैं। वह जुर्माना दिखाकर प्रवेश से पहले ही सैलानियों से कैमरे के नाम पर 200 से 500 रुपए वसूल लेते हैं।
एडवोकेट राजेश टंडन ने मामले की जानकारी मिलने पर नगरीय विकास विभाग के स्वायत शासन सचिव भवानी सिंह देथा से बात की। टंडन ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अजमेर आने वाले जायरीन और आमजन को सरेआम लूटा जा रहा है। राज्य सरकार और नगर निगम (nagar nigam) का ठेकेदार पर कोई अंकुश नहीं है। उन्होंने मांग की है कि ऐसे ठेकेदार के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया जाना चाहिए और तुरंत प्रभाव ठेका निरस्त किया जाना चाहिए।
महापौर धर्मेन्द्र गहलोत ने बताया कि ठेके में कैमरा शुल्क लिए जाने का कोई प्रावधान नहीं रखा गया है। ठेकेदार ने अपने स्तर पर ही यह वसूली शुरू कर दी जो कि सरासर गलत है। पत्रिका के माध्यम से जानकारी मिलने के बाद ठेकेदार को नोटिस जारी कर दिया गया है। इसमें पूछा गया है कि किस आधार पर वसूली की गई है और अब तक कितनी वसूली की जा चुकी है। साथ ही चेतावनी दे दी गई है कि भविष्य में निर्धारित शुल्क के अलावा कोई वसूली की गई तो ठेका निरस्त कर दिया जाएगा।