यह व्यथा है अजमेर जिले के बांदरसिंदरी (किशनगढ़) निवासी पांचू गर्जर की, जिसके हौसले को देख ग्रामीण भी हर संभव मदद को आगे आते हैं। पांचू के जीवन में कुछ खुशी लौटाने का काम अगर किया तो वह है भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति ने। समिति के माध्यम से कैलीपर एवं कृत्रिम पैर नि:शुल्क मुहैया करवाने से अब वह खेतों की रखवाली करने खुद पहुंच जाता है। अपने काम वह खुद कर लेता है। किसी भी आश्रित नहीं है।
ट्रक चालक था, कट गया एक पैर
पांचू गुर्जर ने बताया कि वह ट्रक चालक था, शाहपुरा में एक सड़क दुर्घटना में एक पैर कट गया। यही नहीं करीब छह वर्ष पूर्व बीमारी के चलते दूसरा पैर भी कटवाना पड़ा। मगर उसने हिम्मत नहीं हारी। कोई भी कमजोर नहीं…
पांचू ने कहा कि मैं असहाय नहीं हूं। कोई भी विकलांग अपने आप को कमजोर नहीं समझे, स्ट्रॉंंग बने। भगवान भी स्ट्रांन्ग के साथ हैं। हां, तकलीफ तो हुई मगर भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति का सहयोग रहा। इन कैलीपर व कृत्रिम पैर से अपना काम खुद कर लेता हूं। बच्चे पढ़-लिख रहे हैं। खेत की देखभाल कर लेता हूं।