प्रकरण में एक बार फिर अभियोजन कड़ी से कड़ी नहीं मिला पाया और लचर अनुसंधान का फायदा बचाव पक्ष को मिला। फैसले में अदालत ने कई कानूनी प्रावधानों की पालना नहीं किए जाने के कारण आरोपियों को निर्दोष ठहराया। गौरतलब है कि 2 जनवरी 2013 को तत्कालीन एसपी राजेश मीणा पर दलाल के मार्फत थानेदारों से मंथली वसूली के मामले में एसीबी ने मुकदमा दर्ज किया था।
फैसला आने के बाद राजेश मीणा ने कहा कि हमारे खिलाफ मिथ्या और साक्ष्य विहीन केस दर्ज किया गया था। राजेश मीणा ने कहा कि कोर्ट पर हमें शुरू से ही विश्वास था कि दूध का दूध पानी का पानी होगा। हमारे परिवार, परिचित और रिश्तेदारों ने इस लंबी अवधि में काफी मानसिक पीड़ा झेली है जो कि अवर्णनीय है। मेरा शुरू से मानना था कि सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं हो सकता।
यह आरोपी हुए बरी
तत्कालीन एसपी राजेश मीणा, तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक लोकेश सोनवाल, थानेदार अशोक कुमार, रविन्द्र यादव, बंशीलाल, खान मोहम्मद, हनुमान सिंह, सुनील विश्नोई, जयपाल धारणिया, गोपाल लाल, प्रमोद स्वामी, संजय शर्मा, कुशाल राम चौरड़िया, दलाल रामदेव ठठेरा, व्यवसायी हेमन्त जैन शामिल हैं।