आधारानंद स्वामी रचित ‘श्री हरिचरित्रामृत सागर’ भगवान श्री स्वामीनारायण के जीवन चरित्र पर हिन्दी में तैयार सबसे बड़ा ग्रंथ हैं। इस ग्रंथ में 29 पूर, 2409 तरंग, 1,02,564 दोहे, सोरठा, चौपाई हैं। इस विराट ग्रंथ की कथा अर्थात् सागरकथा 10 जून को कुंडलधाम में ज्ञानजीवनदास स्वामी ने सागरकथा की शुरुआत की थी। इस ग्रंथ में 1 से 20 पूर तक कथा का लाभ ज्ञानजीवनदास महाराज ने दिया। बाकी 9 पूर की कथा ईश्वरचरणदास महाराज स्वामी ने की। इसका देश-विदेश में प्रसारण हुआ था। सागर कथा से हजारों लोगों की जीवन में संस्कार, सदगुणों का सिंचन हुआ। मौजूदा समय में भी हो रहा है। कुंडलधाम में सागर महोत्सव हुआ,जो 26 अक्टूबर तक चला। 27 अक्टूबर को सागरकथा की ऑडियो कथा का विमोचन किया गया।