प्रोफेसर नितिन खन्ना बताते हैं कि यह शोध (पद्धति) असली ऑडियो रिकॉर्डिंग के साथ छेड़छाड़ की जांच में मददगार होगी। एक सेकेंड के ऑडियो की सत्यता भी इसमें जानी जा सकती है। ऐसे में यदि कोई असली ऑडियो से छेड़छाड़ करके उसमें अन्य ऑडियो कंटेट को जोड़कर उसे वायरल करता है तो इसके जरिए साबित किया जा सकेगा कि ऑडियो में छेड़छाड़ हुई है। इतना ही नहीं अन्य शामिल किया गया ऑडियो किस मोबाइल फोन से रिकॉर्ड किया है। ऐसे में यह मल्टी मीडिया फोरेंसिक जांच में काफी अहम साबित होगी।