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अहमदाबाद

नीट-यूजी के ऑल इंडिया टॉपर्स ने सफलता के लिए बताए ये जरूरी टिप्स

NEET-UG: Zeel Vyas Top in Gujarat -टॉप 10 की नहीं थी उम्मीद, दिल्ली एम्स से एमबीबीएस की इच्छा
 

अहमदाबादSep 08, 2022 / 10:47 pm

nagendra singh rathore

नीट-यूजी के ऑल इंडिया टॉपर्स ने सफलता के लिए बताए ये जरूरी टिप्स

नीट-यूजी के ऑल इंडिया टॉपर्स ने सफलता के लिए बताए ये जरूरी टिप्स

Ahmedabad. नीट-यूजी में 720 में से 710 अंक लाकर देश में टॉप-10 विद्यार्थियों में जगह बनाने वाली गुजरात की झील व्यास बताती हैं कि नीट-यूजी में सफलता के लिए जरूरी है कि आप ईमानदारी से मेहनत करो। हर दिन के टार्गेट तय करके उसे पूरा होने तक पढ़ाई करो। कितने घंटे पढ़ाई की जाए यह महत्वपूर्ण नहीं है, उसकी जगह यह ज्यादा महत्वपूर्ण है कि आप जो पढ़ रहे हो वह समझ में आया या नहीं।
वडोदरा निवासी झील ने देश में 9वीं रैंक पाई है। वे बताती हैं कि उन्हें देशभर में टॉप-10 में आने की उम्मीद नहीं थी, लेकिन अच्छे नंबर आएंगे इसको लेकर वह आश्वस्त थीं। वे दिल्ली एम्स से एमबीबीएस करना चाहती हैं। झील बताती हैं कि वे 11वीं कक्षा से ही नीट-यूजी की तैयारी कर रही थीं। तब से जारी लगातार मेहनत के चलते उन्हें यह सफलता मिली है। इस दौरान वे सोशल मीडिया से पूरी तरह से दूर रहीं। वे वॉट्स एप के अलावा अन्य कोई सोशल मीडिया का उपयोग नहीं करती हैं।
वे सिर्फ यही टिप्स देना चाहती हैं कि विद्यार्थियों को एनसीआरटीई किताबों से ही ईमानदारी से तैयारी करनी चाहिए। झील के पिता विपुल व्यास एमडी मेडिसिन हैं। मां वैशालीबेन फार्मासिस्ट हैं। झील का कहना है कि उन्हें जीवविज्ञान विषय में काफी रुचि थी, जिससे उन्होने मेडिकल फील्ड को चुना।

 

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एम्स दिल्ली से एमबीबीएस की चाहत: जय

Ahmedabad. नीट-यूजी 2022 में 720 में से 706 अंक लाकर देश में 16वीं रैंक लाने वाले और छात्रों की श्रेणी में गुजरात में पहले स्थान पर आने वाले जय राज्यगुरू का कहना है कि उनकी चाहत दिल्ली एम्स से एमबीबीएस करने की है। आगे चलकर सर्जिकल में मास्टर डिग्री की तमन्ना है। जय बताते हैं कि उन्होंने तय किया था कि वे देश में टॉप-50 में जगह बनाएंगे, जिसमें वह सफल रहे हैं। जय का कहना है कि विद्यार्थियों को आत्मविश्वास रखते हुए फोकस स्टडी करनी चाहिए। ईमानदारी से मेहनत करनी चाहिए। एनसीआरटीई किताबें ही मुख्य आधार हैं, लेकिन जरूरत पडऩे पर अपना कॉन्सेप्ट क्लियर करने के लिए अन्य आधारों का भी सहारा लेना चाहिए। जय बताते हैं कि यह सफलता एक दिन का परिणाम नहीं है। बल्कि पूरे साल की मेहनत का नतीजा है। उन्होंने शुरूआत दिन में दो घंटे पढ़ाई से की फिर धीरे-धीरे उसे बढ़ाकर छह घंटे फिर दिन के 10 घंटे किया। परीक्षा के दो महीने पूर्व से वे लगातार 12 घंटे पढ़ते थे। सोशल मीडिया से दो महीने पूरी तरह से दूर रहे।
महेसाणा निवासी जय के पिता डॉ.दीपक यूरोलॉजिस्ट हैं और मां डॉ.नीना गायनेकोलॉजिस्ट। बड़ी बहन सूरत से एमडी साइक्रियाटिस्ट कर रही हैं।

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