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अहमदाबाद

Gujarat News : चिकित्सक की सूझबूझ और टेलिमेडिसिन की सलाह से कैसे बची माता-शिशु की जान

सिकल सेल एनीमिया समस्या की गंभीर स्थिति से उबारा
सिम्पल पार्शियल मैन्युअल ब्लड एक्सचेंज थेरेपी से इलाज

अहमदाबादMay 06, 2022 / 10:28 pm

Binod Pandey

Gujarat News : चिकित्सक की सूझबूझ और टेलिमेडिसिन की सलाह से कैसे बची माता-शिशु की जान

Gujarat News : चिकित्सक की सूझबूझ और टेलिमेडिसिन की सलाह से कैसे बची माता-शिशु की जान

दाहोद. दाहोद के अस्पताल में एक गर्भवती महिला और उसके बच्चे को सिकल सेल एनीमिया की गंभीर स्थिति से बचा लिया गया। दाहोद के उकरडी में रहने वाली महिला गर्भावस्था के अंतिम चरण में अस्पताल पहुंची थी।
यहां प्रसव पीड़ा होने के साथ उसे सिकल सेल एनीमिया की स्थिति से जूझना पड़ा। प्रसूता के शरीर के विभिन्न अंगों तक रक्त प्रवाह नहीं होने से उसके शरीर में असह्य दर्द हो रहा था। इसी दौरान डॉ राहुल पडवाल ने हेमेटोलॉजिस्ट की टेलिमेडिसिन से सलाह लेकर सिम्पल पार्शियल मैन्युअल ब्लड एक्सचेंज थेरेपी से इलाज शुरू किया। इसमें एक तरफ से ताजा रक्त चढ़ाया जाता और दूसरी तरफ से सलाइन चढ़ाकर रक्त निकाला जाता। दो एनेस्थेटिस्ट, फिजिशियन समेत टीम ने भारी जहमत उठा कर माता को बचाते हुए सही सलामत प्रसूति कराने में सफलता पाई। शिशु को भी बचा लिया गया।


अंग फेल होने का खतरा
डॉ पडवाल ने बताया कि सिकल सेल एनीमिया से शरीर का कोई भी अंग फेल हो सकता है। किडनी, मस्तिष्क, हृदय जैसे महत्व के अंग तक रक्त नहीं पहुंचने से इसके फेल होने की आशंका रहती है। इस वजह से सिकल सेल एनीमिया से पीडि़त महिला को सभी प्रकार की सुविधायुक्त अस्पताल में दाखिल होना जरूरी है। साथ ही गर्भावस्था के शुरू होने के साथ ही जांच करा कर यह पता कर लेना चाहिए कि उसका सिकल सेल एनीमिया सामान्य है या गंभीर। इसके अलावा पति-पत्नी दोनों को जांच कराना जरूरी है। गर्भावस्था के नौ महीने के दौरान ब्लड ट्रान्सफ्यूजन करना पड़ता है। सिकल सेल के प्रति जागरूकता के लिए सरकार की ओर से भी सिकल सेल एनिमिया नियंत्रण कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
आदिवासी क्षेत्र में 10 फीसदी महिलाएं पीडि़त
गुजरात के आदिवासी क्षेत्रों में 85 लाख की आबादी में 10 फीसदी महिलाएं सिकल सेल एनीमिया से पीडि़त है। यह संख्या करीब 70 हजार है, जिनमें यह बीमारी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी गत महीने दाहोद में आयोजित आदिजाति महासम्मेलन में इस गंभीर बीमारी की चर्चा की थी। उन्होंने इस बीमारी से लडऩे के लिए राज्य सरकार को वैज्ञानिक शोध कराने की बात कही थी। सिकल सेल रोग आनुवांशिक है, लेकिन आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में इससे पीडि़तों की संख्या अधिक है। गर्भवती महिलाओं के लिए यह रोग जानलेवा बन जाता है।

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