डॉ पडवाल ने बताया कि सिकल सेल एनीमिया से शरीर का कोई भी अंग फेल हो सकता है। किडनी, मस्तिष्क, हृदय जैसे महत्व के अंग तक रक्त नहीं पहुंचने से इसके फेल होने की आशंका रहती है। इस वजह से सिकल सेल एनीमिया से पीडि़त महिला को सभी प्रकार की सुविधायुक्त अस्पताल में दाखिल होना जरूरी है। साथ ही गर्भावस्था के शुरू होने के साथ ही जांच करा कर यह पता कर लेना चाहिए कि उसका सिकल सेल एनीमिया सामान्य है या गंभीर। इसके अलावा पति-पत्नी दोनों को जांच कराना जरूरी है। गर्भावस्था के नौ महीने के दौरान ब्लड ट्रान्सफ्यूजन करना पड़ता है। सिकल सेल के प्रति जागरूकता के लिए सरकार की ओर से भी सिकल सेल एनिमिया नियंत्रण कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
गुजरात के आदिवासी क्षेत्रों में 85 लाख की आबादी में 10 फीसदी महिलाएं सिकल सेल एनीमिया से पीडि़त है। यह संख्या करीब 70 हजार है, जिनमें यह बीमारी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी गत महीने दाहोद में आयोजित आदिजाति महासम्मेलन में इस गंभीर बीमारी की चर्चा की थी। उन्होंने इस बीमारी से लडऩे के लिए राज्य सरकार को वैज्ञानिक शोध कराने की बात कही थी। सिकल सेल रोग आनुवांशिक है, लेकिन आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में इससे पीडि़तों की संख्या अधिक है। गर्भवती महिलाओं के लिए यह रोग जानलेवा बन जाता है।