दरअसल वर्ष २००९ में लिए गए प्रोग्राम फॉर इंटरनेशनल स्टूडेंट एसेसमेंट (पीसा) टेस्ट में भारत का शर्मनाक प्रदर्शन रहा था। वर्ष २०१२ में आए परिणाम में उस समय इसमें शामिल हुए ७४ देशों में भारत का स्थान 73वां और 72वां था। केवल कजाकिस्तान ही भारत से पीछे था। ये दर्शाता है कि भारत में स्कूली शिक्षा की स्थिति किस प्रकार की है। उस समय हिमाचल प्रदेश और तमिलनाडु के स्कूली विद्यार्थियों ने इसमें शिरकत की थी।
पीसा टेस्ट २००९ में भारत के शर्मनाक प्रदर्शन से भारत सरकार चेती है और इसमें सुधार के लिए गंभीर भी है, यही वजह है कि इसके लिए केन्द्रीय विद्यालय आयुक्त और सीबीएसई आयुक्त ने आईआईटी गांधीनगर के सीसीएल से संपर्क किया है। सीसीएल में खिलौने और मॉडल बनाने में विद्यार्थियों की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए उन्हें गणित और विज्ञान के सूत्र को रोचक तरीके से समझाया जाता है। इसके लिए ४५० गतिविधियां विशेषरूप से डिजाइन की गई हैं। कमजोर प्रदर्शन की वजह में हमने पाया कि शिक्षकों का ज्यादातर ध्यान कोर्स पूरा कराने में रहता है। विद्यार्थियों की समझ और दृष्टिकोण तथा रुचि को विकसित करने में नहीं। जिससे विद्यार्थियों को यही समझ नहीं है कि एक किलो लोहा खरीदा जाए या एक लीटर लोहा? या फिर एक लीटर तेल लाएं या एक किलो तेल तो ठीक रहेगा? सीसीएल में विद्यार्थियों को रटाते नहीं समझाते हैं, जिससे उनकी रुचि बढ़ती है, समझ आती है। दृष्टिकोण विकसित होता है। सीसीएल देश के केवी, जेएनवी और चंडीगढ़ के विज्ञान के 100, गणित के 100 और भाषा-अंग्रेजी के 100 शिक्षकों को मास्टर ट्रेनर्स की ट्रेनिंग देगा। जो फिर अपने यहां जाकर अन्य स्कूलों के शिक्षकों को प्रशिक्षण देंगे।
-प्रो.मनीष जैन, प्रमुख, सीसीएल, गांधीनगर
-सीसीएल में खिलौने और मॉडल के जरिए गणित और विज्ञान को जिस प्रकार से रोचक और मनोरंजक तरीके से सिखाना बताया गया ये उनके लिए भी काफी रोचक था। वाकई में यह विद्यार्थियों में रुचि जगाने वाला और उनकी समझ को बढ़ाने वाला है।
-मेहजबीन मलिक,शिक्षिका (गणित), केवी एएफएस, वडोदरा
-डॉ.सुषमा एहलावत, शिक्षिका विज्ञान, डीपीएस-४५ गुडग़ांव
-अंकिता दुधरेजा, शिक्षिका-विज्ञान, डीएवी, गुडग़ांव, हरियाणा