श्रीराम ग्रीन शिप रिसाइकिलिंग इंडस्ट्रीज ने इसे नीलामी के मार्फत खरीदा था। रक्षा मंत्रालय के इसे म्यूजियम में तब्दील करने के लिए एनओसी से इन्कार करने के करीब एक सप्ताह बाद इसे तोडऩे की प्रक्रिया आरंभ की गई। गत महीने बांबे हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार से इस संबंध में कानून के तहत निर्णय लेने का निर्देश दिया था। उधर युद्धपोत को म्यूजियम बनाने की चाह रखने वाली मुंबई की फर्म एन्विटेक मरीन कंसलटेन्ट्स प्रा. लि. ने युद्धपोत को म्यूजियम में तब्दील करने के लिए एनओसी मांगी थी। एनओसी के इन्कार करने के बाद फर्म ने सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कह चुकी है। ब्रिटिश ट्रस्ट ने भी इसे संरक्षित करने के लिए ब्रिटेन व भारत के प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। सोमवार को महाराष्ट्र से शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से पत्र लिखकर इसे म्यूजियम में तब्दील करने के लिए एनओसी की मांग की।
आईएनएस विराट सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाला युद्ध पोत है। यह ब्रिटिश नेवी में एचएमएस हर्मिश के रूप में वर्ष 1959 से लेकर 1984 तक अपनी सेवा दे चुका है। इसके बाद इसे भारतीय नौ सेना में शामिल किया गया।
आईएनएस विराट को तोड़े जाने की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है। अब यह म्यूजिमम बन सकता है या नहीं, इसकी राय तकनीकी विशेषज्ञ ही दे सकते हैं। इसे तोडऩे में एक वर्ष तक का समय लग सकता है।
मुकेश पटेल, शिप ब्रेकर व्यवसायी