पाकिस्तान की जेल में बंद 20 भारतीय मछुआरों को रिहाई के बाद पहले वाघा बार्डर लाया गया। वेरावल स्थित गुजरात मत्स्य पालन विभाग कार्यालय के अधिकारी सहित भुज, राजकोट, पोरबंदर के अधिकारियों की टीम इन्हें अमृतसर से ट्रेन से वडोदरा लेकर आई। वडोदरा से ये सभी बस में सवार होकर गुरुवार को वेरावल पहुंचे। इनमें गिर सोमनाथ जिले के 15 व उत्तर प्रदेश के 5 मछुआरे शामिल हैं जिनकी आयु 18 से 50 वर्ष के बीच है।
इन मछुआरों ने बताया कि पाकिस्तान की जेलों में उन्हें सिर्फ जीने के लिए खाना मिलता था। वहां की जेलों में अभी भी कई भारतीय बीमारी से पीडि़त हैं। ओखा से बोट में सवार होकर मछली पकडऩे के समुद्र में गए उत्तर प्रदेश के प्यारेलाल ने कहा कि वहां की जेल में किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं थी। सभी बीमारियों में एक ही दवा दी जाती है। वहां की जेलों में उचित भोजन भी नहीं मिलता। सिर्फ जीने के लिए खाना दिया जाता था।
पाकिस्तान मरीन सुरक्षा एजेंसी (पीएमएसए) ने इन मछुआरों का तीन-चार वर्ष पहले भारतीय जल सीमा से अपहरण कर लिया था। इसके बाद से ये सभी पाकिस्तान की जेलों में बंद थे। इन मछुआरों की आयु 18 से 50 वर्ष के बीच है। जानकारी के अनुसार 575 भारतीय मछुआरे और 51 भारतीय नागरिक पाकिस्तान की जेलों में बंद हैं। इनके अलावा करीब 1200 भारतीय बोट पाकिस्तान के कब्जे में हैं।