विपुल चौधरी की ओर से इस मामले में बयान जारी कर घोटाले के आरोप से इनकार किया गया है। चौधरी का कहना है कि यह सूखे के दौरान की गई सहायता की राशि का यह मामला है ना कि घोटाला। उन्होंने तो 9 करोड़ रुपए कर्ज लेकर डेयरी में २० अगस्त से २९ अगस्त २०१९ के दौरान जमा कराए हैं। महाराष्ट्र में सूखे के समय सहायता के रूप में २२.५० करोड़ का पशुदाना (सागर दाना) भेजा गया था। १० फीसदी राशि दूधसागर डेरी में 7 दिन में जमा कराने के राज्य के सहकारी रजिस्ट्रार ने आदेश दिया था, जिस पर सहकारी ट्रिब्यूनल ने ८ अक्टूबर २०१८ को कामचलाऊ रोकलगाई है। उसके तहत २.२५ करोड़ चौधरी ने डेरी में १६ अक्टूबर को जमा कर दिए थे। फिर ट्रिब्यूनल ने २२.५० करोड़ के अतिरिक्त ४० फीसदी रुपए जमा कराने की शर्त पर २९ जुलाई २०१९ को रोक लगा दी थी। फिर भी नौ करोड़ रुपए कर्ज पर लेकर जमा कराए। उसे चौधरी ने जमीनों को बेचकर ये कर्ज चुकाया होने का दावा किया है। यह राशि वसूली नहीं है। केस अभी भी चल रहा है।