अगले तीन वर्षों में जीवित व्यक्तियों से अंग लेने की नहीं होगी जरूरत इस कार्यक्रम में समाज में अंगदान को लेकर अधिक से अधिक जागरूकता फैलाने पर जोर दिया। डॉ. मिश्रा के अनुसार ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं कि अगले 2025 तक जीवित व्यक्ति को अंगदान नहीं करना पड़े। हालांकि देश की बात की जाए तो फिलहाल 85 प्रतिशत प्रत्यारोपण जीवित व्यक्तियों के अंगों की मदद से किए जाते हैं और केवल 15 प्रतिशत ब्रेन-डेड दाताओं से अंग मिलते हैं। देश में जीवित दाताओं में 80 प्रतिशत हिस्सा महिलाओं का है। कार्यक्रम में सिविल मेडिसिटी के निदेशक डॉ. जयेश सचदे, यूएन मेहता अस्पताल के निदेशक डॉ. आर.के. पटेल, किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ. हिमांशु पटेल, डॉ. विवेक कूटे, डॉ. रोहिणा अग्रवाल समेत अनेक चिकित्सक मौजूद रहे।