मानसिक चिकित्सा संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. दिनेश राठौर ने बताया कि क्या कारण है कि एक्सप्रेस वे पर अन्य मार्गों की तुलना में नींद आने की संभावना अधिक रहती है। उन्होंने बताया कि जिस तरीके से हिप्नोसिस (Hypnosis- सम्मोहन) की प्रक्रिया में हम लगातार किसी एक ऑब्जेक्ट पर ध्यान केन्द्रित करते हुए आसपास की बाधाओं को कम से कम कर देते हैं, जिसकी वजह से मनुष्य का दिमाग धीमे धीमे सुन्न हो जाता है। यही घटना एक्सप्रेस वे पर चलने के दौरान होती है, क्योंकि यहां चलते समय कम से कम बाधाएं और डिस्ट्रेक्शन आते हैं। हम लगातार सीधे देखते रहते हैं और एक्सप्रेस वे पर जो लाइनें होती हैं, उन पर ध्यान केन्द्रित हो जाता है। इस तरह की प्रक्रिया में दिमाग धीरे धीरे शिथिल होता चला जाता है, सुन्न होता चला जाता है। उसकी सक्रियता कम हो जाती है।
डॉ. दिनेश राठौर ने बताया कि इसकी रोकथाम के लिए आवश्यक है कि एक्सप्रेस वे पर चलते समय साथियों से बात करते रहें। गाने सुन सकते हैं और खास बात ये है कि सफर को रुकते हुए पूरा करें, ऐसा नहीं है कि रास्ता खाली है और अधिक दूरी जल्दी तय करने के लिए लगातार वाहन चलाते रहे। डॉ. दिनेश राठौर ने पत्रिका के माध्यम से सभी चालकों से अपील की है, कि इन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखें क्योंकि जीवन अनमोल है।