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Latest News in Agra पुलिस के अनुसार ये दोनों नाइजीरियन एजुकेशन वीजा के जरिए भारत आए थे। दोनों आरोपी पिछले तीन साल से यहां रहकर साइबर क्राइम को अंजाम दे रहे थे। आगरा के आलू व्यापारी से नीलजन धखर नाम के व्यक्ति ने व्हाट्स एप पर चैटिंग शुरू हुई। डील होने पर ईमेल आईडी पर 3.80 लाख जूट बैग का ऑर्डर दिया और पैसे उनके बताए एकाउंट में ट्रांसफर कर दिए।
यह भी पढ़ेंः स्वामी प्रसाद मौर्या और उनकी बेटी संघमित्रा की मुश्किलें बढ़ीं, कोर्ट ने इस मामले में जारी किया गिरफ्तारी वारंट इसके बाद सामान भेजने और अन्य सुविधाओं के नाम पर 2.26 लाख रुपये भी एकाउंट में भेजे गए। शिपमेंट की एनवायरमेंटल एनओसी के लिए 96900 रुपये भी एकाउंट में ट्रांसफर कराए गए। लेकिन इसके बाद भी सामान नहीं आया। वेबसाइट पर पूरी जानकारी थी जैसे जीएसटी नंबर, ईमेल आईडी आदि इसलिए शक नहीं हुआ। राजीव ने सामान नहीं आने पर दिए गए ट्रक नंबर को ट्रैक किया तो वो दीमापुर नागालैंड का था। ट्रक के मालिक से बात की तो उन्होंने कहा कि उनके ट्रक की कोई बुकिंग नहीं है।
पूछताछ में दोनों ठगों ने पुलिस को बताया कि वे अब तक 100 से 150 फर्जी व्यापारिक वेबसाइट्स गूगल पर रजिस्टर कर चुके हैं। 100 से ज्यादा व्यापारियों को ठगी का शिकार बना चुके हैं। उनसे लगभग 15 करोड़ रुपये ले चुके हैं। पुलिस द्वारा अरेस्ट किए गए ठग नाइजीरिया के हैं।अकुंबे बोमा और माइकल बूनवी ने बताया कि वे फर्जी वेबसाइट बनाकर फर्जी वेयर हाउस दिखाते थे। एक नहीं कई फर्जी वेबसाइट बना चुके हैं। यह लोग गूगल पर ही बड़ी कंपनियों के नाम ढूंढ कर उनके नाम पर फर्जी वेबसाइट बना लेते थे। इन वेबसाइट पर व्यापारी व रिटेलर एग्रीकल्चर, सॉफ्टड्रिंक, कोरोगेटेड बॉक्स, इलेक्ट्रोनिंक एप्लायंस आदि की डिलीवरी के लिए संपर्क करते थे।
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व्यापारियों से बैंक एकाउंट में रुपये मंगा लेते थे। इनके साथी इंग्लिश में व्यापारियों से बात करते थे। जिससे उन्हें विश्वास हो जाए कि फर्जी वेबसाइट नहीं है। चैटिंग कर व्हाट्सएप पर ही फर्म की इनवॉइस भी भेजते थे। फर्जी डिटेल पैकिंग नंबर, डिस्पैच नंबर, ट्रक नंबर भी भेजते थे। दोनों ने ठगी से पैसों से एक महंगी कार भी खरीद ली थी। दो आईफोन, 3 मोबाइल, वाईफाई राउटर, वाईफाई हॉट स्पॉट, रिफ्यूजी कार्ड, लैपटॉप, ड्राइविंग लाइसेंस, मोहरें, मेंबर कार्ड आदि पुलिस को मिले हैं। हर फर्जी नाम पते के लिए 4 हजार रुपये देते थे। जो पैसे एकाउंट में आते थे, वो अपने देश भेज देते थे। उनके मोबाइल की चैटिंग में भी 60-70 व्यापारियों से चैट मिली हैं।
एसीपी हरिपर्वत आदित्य कुमार ने बताया कि साइबर टीम की मदद से यह पकड़ में आए हैं। पूछताछ में दोनों ने बताया कि वे फर्जी नाम पतों पर खोले गए खातों पर एक-एक लाख रुपये प्राप्त करते थे। उनका एटीम भी अपने पास रखते हैं। वेस्ट बंगाल के किसी मकसूद अली से फर्जी नाम पते प्राप्त करते थे।
-आगरा से प्रमोद कुशवाह की रिपोर्ट