डॉ. सीपी राय समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। अखिलेश यादव के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद जिस तरह समाजवादी विचारधारा से जुड़े पुराने लोगों पार्टी में अहमियत कम हुई तो कई नेताओं ने साथ छोड़ दिया। हाल ही में पत्रिका रिपोर्टर से हुई बातचीत के दौरान डॉ. सीपी राय ने साफ भी कर दिया था कि उनका अखिलेश यादव से कोई मतलब नहीं हैं।
डॉ. राय आज की राजनीति में मौजूद उन गिने-चुने नेताओं में से हैं जो अध्ययन से भी लगातार जुड़े हैं, और लेखन से भी। उनकी विद्वता उनके जोशीले भाषणों में भी झलकती है और टीवी पर डिबेट में भी। पार्टी के सर्वोत्तम प्रवक्ताओं में शुमार किए जाने वाले डॉ. राय समाजवादी पार्टी और अन्य समाजवादी विचारधारा के दलों के उन चुनिंदा नेताओं में से थे जो मीडिया में भी बहुत लोकप्रिय हैं।
मुलायम के रहे करीबी, अब देंगे शिवपाल का साथ
माना जाता है कि डॉ. सीपी राय सांप्रदायिकता और विभाजनकारी ताकतों से रत्ती भर भी समझौता नहीं करते हैं और राजनीतिक रणनीतियां बनाने में बेहद माहिर हैं। कहा जाता है कि समाजवादी पार्टी बनने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने उनके इस कौशल का बखूबी इस्तेमाल भी किया, लेकिन अब वे शिवपाल सिंह यादव का साथ देने जा रहे हैं।
आगरा में दिलाई थी मजबूती
वहीं डॉ. सीपी राय ने समाजवादी पार्टी को आगरा में मजबूती प्रदान करने का बड़ा काम किया। उनके द्वारा सपा के दो राष्ट्रीय अधिवेशन आगरा में कराये गये। पहले अधिवेशन कुछ खास नहीं था, लेकिन दूसरे अधिवेशन में डॉ. सीपी राय ने सपा को बेहद मजबूत करने का काम किया था।