Bharat Bandh Andolan : SC-ST ACT क्या है, कब बना, क्या उद्देश्य है और अब तक कितनी बार हुए परिवर्तन
Sawarn Samaj Bharat Bandh Andolan : कितने लोग SC ST ACT के मौजूदा स्वरूप और इसके इतिहास के बारे में जानकारी रखते हैं, इसलिए, हम आपको बता रहे हैं 63 वर्ष पुरानी जड़ों वाले SC/ST ACT के अब तक के सफर और मौजूदा स्वरूप के बारे में।
SC/ST ACTक्या है, कब बना, क्या उद्देश्य है और अब तक कितनी बार हुए परिवर्तन
– अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचारों की रोकथाम) के लिए बने एक्ट को हम लोग SC-ST Act के नाम से जानते हैं। इस कानून को लेकर देश भर में इस समय बहस छिड़ी हुई है। दो अप्रेल को जहां शेड्यूल्ड कास्ट (अनुसूचित जाति) संगठनों के बैनर तले हजारों लोग सड़कों पर उतरे और राज्यों की सरकार की सरकारों के सामने कानून व्यवस्था बनाए रखने का संकट खड़ा हो गया वहीं एक बार इस एक्ट पर ही लोग ससड़कों पर उतरने को तैयार हैंं। इस बार नाम दिया गया है ‘Sawarn Bharat Band’ यानि कि इस बार सवर्ण समाज के लोग इस एक्ट के कुछ प्रावधानों के विरोध में छह तारीख को भारत बंद करवाने के लिए सड़कों पर उतरेंगे। सवाल उठता है कि सड़कों पर उतरने के लिए तैयार हजारों-लाखों-करोड़ों लोगों में से कितने लोग इस एक्ट के मौजूदा स्वरूप और इसके इतिहास के बारे में जानकारी रखते हैं। इसलिए, हम आपको बता रहे हैं 63 वर्ष पुरानी जड़ों वाले SC/ST ACT के अब तक के सफर और मौजूदा स्वरूप के बारे में।
कब-कब औऱ क्या हुए बदलाव SC-ST Act में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचारों की रोकथाम) के लिए बने एससी/एसटी एक्ट का मौजूदा स्वरूप 1989 में प्रभाव में आया था लेकिन इसका इतिहास 63 वर्ष पुराना है। पहली बार यह कानून 1955 में आया। 1955 में संसद में अछूत (अपराध) एक्ट पास किया था। इसके बाद इस इस एक्ट में पहली बार परिवर्तन की जरूरत महसूस हुई। इस जरूरत के तहत 1976 में अछूत (अपराध) एक्ट को प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (PRC) एक्ट कर दिया गया। दूसरी बार 1989 में इस एक्ट में एक बार फिर बदलाव की जरूरत महसूस हुई और इसे अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचारों की रोकथाम), 1989 एक्ट बना दिया गया। इस दौरान इस एक्ट में जिस वर्ग के लिए यह बनाया उस वर्ग को किसी प्रकार से अपमानित करना, नीचा दिखाने की कोशिश करना। पंचायतों में इनके खिलाफ तुगलकी फरमान जैसे- सिर के बाल कटवा देना। मूंछें मुड़वा देना जैसे कृत्य को अपराध माना गया औऱ इस एक्ट के तहत तुरंत कार्रवाई का प्रवावधान किया। इसके बाद तीसरी बार फिर इस एक्ट में बदलाव की जरूरत पड़ी। सन् 2015 में इस एक्ट में बड़ा बदलाव करते हुए जाति Suchak शब्दों का इस्तेमाल करना भी अपराध मानते हुए कार्रवाई/सजा का प्रवधान कर दिया गया। लेकिन इस एक्ट को अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचारों की रोकथाम), 1989 एक्ट के नाम से ही जाना जाता है। फिलहाल जो विरोध प्रदर्शन का दौर चल रहा है वह शुरू हुआ 20 मार्च के सुप्रीम कोर्ट के फैसले सरकार के इस फैसले पर बैकफुट पर आने के बाद।
SC/ST एक्ट के विरोध का कारण दरअसल 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने इस एक्ट के दुरुपयोग को रोकने के लिए अहम फैसला सुनाया था। इस फैसले के तहत सबसे बड़ा बदलाव था – SC/ST एक्ट के तहत किसी भी व्यक्ति के खिलाफ दर्ज कराई गई शिकायत के मामले में सीधी गिरफ्तारी नहीं होगी। एफआईआऱ दर्ज होने के बाद सात दिन के अंदर एक गजिस्टे ऑफीसर, (डीएसपी, सीओ रैंक का अधिकारी) जांच रिपोर्ट देगा उसके बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही अग्रिम जमानत की व्यवस्था करते हुए कुल 11 बदलाव किए थे। इन बदलावों के बाद शेड्यूल्ड कास्ट (अनुसूचित जाति) संगठनों के लोग सड़कों पर उतरे और पहले की भांति ही बिना जांच के एफआईआर की मांग करते हुए इन सभी बदलावों का विरोध किया। मांग की गई कि एक्ट को मूल स्वरूपर में वापस लाया जाए। सरकार बैकफुट पर आई और संसद में विधेयक लाकर एक्ट को सामान्य बदलाव के साथ प्रदर्शकारियों और अनूसूचित जाति के नेताओं की मांग मानते हुए पुन: लगभग पहले की व्यवस्था ही लागू कर दी गई। इस बदलाव के आते ही तुरंत गिरफ्तारी का कानून लागू हो गया।
अब सवर्ण क्यों है SC/ST एक्ट के विरोध में दोबारा तुरंत गिरफ्तारी का कानून लागू होते ही मौजूदा सत्तारूढ़ दल के लिए मुश्किलें बढ़ गईं। सवर्ण समाज इस एक्ट के विरोध में आ गया है। नोएडा, देवरिया सहित कई जगहों से एक्ट के दुरुपयोग की खबरें आईं। भाजपा के सांसदों ने भी दबी जुबान एक्ट का विरोध किया है। अब छह सितंबर को Bharat Bandh के नाम पर सवर्णों का आंदोलन होगा। एक बार फिर लोग सड़कों पर उतरेंगे।
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