रात 12 बजे से मंदिर पर पूजा अर्चना शुरू हो गई। sawan 2018 के पहले सोमवार को भोले बाबा का भव्य श्रंगार किया गया। इसके साथ ही सुबह श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के पट खोले गए। मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए समुचित व्यवस्थाएं की गई हैं। महिला और पुरुष श्रद्धालुओं के लिए अलग से बेरीकेडिंग लगाकर अलग -अलग लाइन की व्यवस्था की गई है, जिससे किसी भी भक्त को कोई परेशानी न हो।
राजेश्वर मंदिर मंदिर में शिवलिंग की स्थापना राजाखेड़ा के किसी साहूकार ने करवाई थी। वे नर्मदा नदी से शिवलिंग लेकर आ रहे थे। गांव से पहले उन्होंने रात्रि विश्राम किया, तो स्वप्न हुआ कि मुझे तो अब यहीं रहना है। सुबह जब बैलगाड़ी में रखकर ले जाया जाने लगा तो गाड़ी दर्जनों लोगों से आगे नहीं बढ़ी। तभी शिवलिंग गाड़ी से नीचे गिरा और स्वयं ही स्थान ले लिया। इसके बाद पांच गांवों के लोगों ने मिलकर मंदिर का निर्माण कराया। इसमें उखर्रा, राजपुर, बाग राजपुर, चमरौली और कहरई सम्मलित हैं। मंदिर की सेवा के लिए 24 बीघा जमीन भी जमीदारों द्वारा दी गई थी, जो आज बहुत कम बची है।