माता संतोषी के भक्त सूर्योदय से पूर्व उठें। घर की सफाई कर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं। घर के ही किसी पवित्र स्थान पर संतोषी माता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। संपूर्ण पूजन सामग्री तथा किसी बड़े पात्र में शुद्ध जल भरकर रखें। जल भरे पात्र पर गुड़ और चने से भरकर दूसरा पात्र रखें। संतोषी माता की विधि-विधान से पूजा करने के बाद माता संतोषी की आरती श्रद्धा पूर्वक करें, और इस दिन उपवास भी रखें।
प्रसाद में बांटें गुड़-चने
आरती के बाद सभी को गुड़-चने का प्रसाद बांटें। अंत में बड़े पात्र में भरे जल को घर में जगह-जगह छिड़क दें तथा शेष जल को तुलसी के पौधे में डाल दें। दोनों समय आरती करने के बाद उपवास खोलें। 16 शुक्रवार का नियमित उपवास रखने का नियम हैं। उपवास वाले दिन खट्टी चीजों का न ही स्पर्श करें और न ही खाएं। इस दिन गुड़ और चने का प्रसाद स्वयं भी खाना चाहिए ।