आगरा

क्या RSS का गुरु दक्षिणा कार्यक्रम धन एकत्रित करने के लिए है?

-28 जुलाई को एक साथ 250 शाखाओं पर होगी गुरु दक्षिणा-दिलीप ने कैलाश भाग के छह नगरों में तैयारी की समीक्षा की-सभी स्वयंसेवकों के समर्पण भाव को जगाने के लिए है कार्यक्रम

आगराJul 15, 2019 / 10:56 am

धीरेंद्र यादव

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आगरा। राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ (RSS) साल में छह उत्सव मनाता है। इनमें से एक है श्रीगुरु दक्षिणा। इस कार्यक्रम में स्वयंसेवक अपने गुरु के सामने धन का समर्पण करते हैं। तो क्या श्रीगुरु दक्षिणा कार्यक्रम धन एकत्रित करने के लिए है? यह प्रश्न बृज प्रांत के व्यवस्था प्रमुख दिलीप ने 250 स्वयंसेवकों के बीच किया तो चौंकाने वाली जानकारी मिली। आपको बता दें कि आगरा समेत पूरे बृज प्रांत में गुरु दक्षिणा एक साथ 28 जुलाई को है। आगरा में 250 स्थानों पर गुरु दक्षिणा होगी।
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वरिष्ठ स्वयंसेवकों को खड़ा करके जानकारा ली
असल में राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ (RSS) के कैलाश भाग के अंतर्गत आने वाले छह नगरों का सम्मिलित कार्यक्रम अमल गार्डन, सिकंदरा में था। ये नगर हैं-
महर्षि अरिवन्दपुरम, नगर रेणुका धाम नगर, कैलाश नगर, दीनदयाल नगर, शास्त्रीपुरम नगर और बजरंग नगर। सम्मिलित में ऐसे स्वयंसेवक बुलाए गए थे जिन पर कोई न कोई जिम्मेदारी है। दिलीप ने अपने संबोधन में गुरु दक्षिणा के लिए होने वाली व्यवस्थाओं के बारे में विस्तार से जानकारी ली और दी। उन्होंने वरिष्ठ स्वयंसेवकों को खड़ा करके पूछताछ की।
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गुरु दक्षिणा धन एकत्रित करने के लिए नहीं
बृज प्रांत सह व्यवस्था प्रमुख दिलीप ने कहा- संघ को चलाने के लिए धन की जरूरत होती है। इसलिए गुरु दक्षिणा कार्यक्रम धन एकत्रित करने के लिए है न? यह सुनकर स्वयंसेवक चुप्पी साध गए। उन्होंने फिर सवाल दोहराया। हाथ खड़े करवाए तो उत्तर मिला कि नहीं। धन एकत्रित करने के लिए नहीं, बल्कि स्वयंसेवकों के समर्पण भाव के प्रकटीकरण के लिए है। उन्होंने कहा कि धन भी शक्ति है, लेकिन संघ यह धन अपने स्वयंसेवकों से ही लेता है, किसी और से नहीं। कहा कि जितना धन श्री गुरु दक्षिणा में आता है, उससे अधिक धन संघ मांगकर ले सकता है। श्रीगुरुजी (संघ के द्वितीय सरसंघचालक) बिड़ला से मिलने गए। उन्हें संघ के बारे में बताया। बिड़ला ने खाली चेक सामने रख दिया और कहा कि जितना धन चाहिए, भर लें। गुरुजी ने इनकार कर दिया। मदन मोहन मालवीय को मनी मेकिंग मशीन कहा जाता था। डॉ. हेडगेवार (संघ के प्रथम सरसंघचालक और संस्थापक) उनसे मिलने गए। मालवीय ने कहा कि संघ को चलाने के लिए धन की जरूरत होगी, मदद कर सकता हूं। डॉ. हेडगेवार ने मना कर दिया।
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स्वयंसेवक से 365 दिन का धन चाहिए
दिलीप ने कहा कि धन एकत्रित करने के लिए गुरु दक्षिणा नहीं है। स्वयंसेवक के समर्पण का भाव जगाने के लिए है। मुझे कुछ कष्ट होना चाहिए। ये 365 दिन की दक्षिणा है, एक दिन की नहीं। हम जैसे संघ को 365 दिन समय देते हैं, उसी तरह से 365 दिन का धन चाहिए। हम स्वयं तय करें कि क्या कर सकते हैं। यही समर्पण हैं। कई स्वयंसेवक दुकान पर होने वाली पहली बिक्री का पैसा गुल्लक में डालते हैं, वर्ष में जो धन एकत्रित होता है, उसे गुरु दक्षिणा में देते हैं। यह भाव प्रधान कार्यक्रम है। स्वयंसेवक का एक-एक व्यवहार, आचरण, स्वयंसेवकत्व का प्रस्तुतीकरण है। अगर किसी से दक्षिणा करानी है तो शाखा पर लाइए।
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ऐसे करें कार्यक्रम की तैयारी
उन्होंने गुरु दक्षिणा के लिए तैयारी की समीक्षा की। चिन्ता करें कि गणगीत, एकल गीत, सुभाषित, अमृत वचन, प्रार्थना के काम बांट दिए हैं ? सूची बना ली है क्या? स्वयंसेवकों की सूची है क्या? उनसे गुरु दक्षिणा कराने के लिए किसे जिम्मेदारी दी गई है? उनसे बात कौन करता है? सारे काम एक ही व्यक्ति नहीं कर सकता सकता है। गणगीत याद हो रहा है या नहीं, यह चिन्ता करें। एकल गीत कौन सा होगा, यह भी तय करें। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता के प्रशिक्षण के लिए भी कार्यक्रम होता है। याद करके गीत और अमृत वचन बोलना है। ये काम करने के लिए 8-10 की टीम इसलिए बना रहे हैं ताकि उनमें आत्मविश्वास जगे।
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नाराजगी जताई
उन्होंने नगर कार्यवाह, सहनगर कार्यवाह, नगर के शारीरिक प्रमुख, कार्यकारिणी कार्यकर्ता खड़े किए गए। एक संपर्क प्रमुख को यह भी पता नहीं था कि नगर में कितनी शाखा और बस्ती हैं। शाखाओं पर गुरु दक्षिणा की तैयारी के बारे में भी कोई जानकारी नहीं थी। पता न होने पर नाराजगी प्रकट की। कहा कि कैबिनेट में होने वाले निर्णय के लिए हर मंत्री जिम्मेदार है। इसी तरह से हमें पूरे नगर के बारे में जानकारी होनी चाहिए। काम बांटें और उसकी चिन्ता करें।
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लीडर के गुण बताए
श्री दिलीप ने कहा कि लीड वह लेता है जो दौड़कर आगे बढ़ता है। किसी का इन्तजार नहीं करना है। जो चुनौती को स्वीकार करने का साहस करता है, वह लीडर होता है। लीडर बैंक बेंचर नहीं होता। संघ का काम लीडर खड़े करना है। इसका मतलब राजनीतिक नेता नहीं। समाज का नेतृत्व करने वाले लीडर तैयार करना है। लीड वह कर सकता है जो फटे में पांव अड़ाता है यानी चुनौती को स्वीकार करता है, जिसे पता है मेरी जिम्मेदारी क्या है। इस मौक पर आगरा विभाग के बौद्धिक प्रमुख राजीव, महानगर के सह संघचालक राजेन्द्र, महानगर कार्यवाह भारत भूषण की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। योगेश ने मुख्य शिक्षक की भूमिका निभाई। प्रसाद के रूप में लाई चना का वितरण किया गया।
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