आगरा। सन् 1674 में ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी को शिवाजी का राज्याभिषेक हुआ था, जिसे आनंदनाम संवत् का नाम दिया गया। महाराष्ट्र में पांच हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित रायगढ़ किले में एक भव्य समारोह हुआ था। इसके पश्चात् शिवाजी पूर्णरूप से छत्रपति अर्थात् एक प्रखर हिन्दू सम्राट के रूप में स्थापित हुए। इस दिवस को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) हिन्दू साम्राज्य दिनोत्सव के रूप में मनाता है। इस दिन संघ की शाखाओं पर पूर्ण गणवेश में बौद्धिक हुआ। छत्रपति शिवाजी के जीवन से सीख लेने की प्रेरणा दी गई। कहा गया कि जो लोग देश और समाज के लिए कार्य करते हैं, उनकी कभी हार नहीं होती है। विपरीत परिस्थितियों में काम करके ही व्यक्ति महान बनता है।
शिवाजी के जीवन से प्रेरणा लें आरएसएस की केशव शाखा (शास्त्रीपुरम ए ब्लॉक) पर हिन्दू साम्राज्य दिनोत्सव धूमधाम से मनाया गया। छत्रपति शिवाजी, संघ संस्थापक डॉ. केशवराम बलिराम हेडगेवार और द्वितीय सरसंघचालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर (गुरुजी) के चित्र पर माल्यार्पण किया गया। इस मौके पर मुख्य वक्ता के रूप में संघ के अधिकारी सुरेन्द्र सिंह ने कहा कि महापुरुष हमें हर वक्त प्रेरणा देते रहते हैं। हम शिवाजी महाराज के जीवनसे प्रेरणा लें कि व्यक्ति सर्वोपरि नहीं है, राष्ट्र सर्वोपरि है।
यह भी पढ़ेंBig News: इलाहाबाद यूपी बैंक ऑफ ग्रामीण का विलय, अब इस नए नाम से जानी जाएगीदरबार में सिर नहीं झुकाया था सुरेन्द्र सिंह ने बताया- बालक की प्रथम गुरु मां होती है। बालक को बनाने में मां का योगदान होता है। ऐसा ही शिवाजी के साथ हुआ। माता जीजाबाई ने शिवाजी को देशभक्त और साहसी बनाया। बचपन में युद्ध और राजनीति सीख ली। शिवाजी को आठ वर्ष की अवस्था में ही शाहजी भोंसले अपने साथ बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह के दरबार में ले गए। उनके कहने पर भी शिवाजी ने सिर झुकाकर अभिवादन नहीं किया। इससे दरबारियों में खलबली मच गई थी। शिवाजी ने अफजल खां को अपनी कूटनीति और युद्धनीति से मार दिया था। शिवाजी ने युद्ध की नई विधा गुरिल्ला युद्ध शुरू किया। इसमें शत्रु को परास्त करके छिप जाना होता है।
गौरव की बात उन्होंने कहा कि किशोर के रूप में शिवाजी ने हिन्दवी स्वराज स्थापित करने की प्रतिज्ञा ली थी न कि अपना राज्य स्थापित करने की। उन्होंने इस बात की भी घोषणा की थी कि यह ईश्वर की इच्छा है, इसमें सफलता निश्चित है। उन्होंने अपनी शाही मोहर में यह बात अंकित की थी कि शाहजी के पुत्र शिवाजी की यह शुभ राजमुद्रा शुक्ल पक्ष के प्रथम दिवस के चंद्रमा की भांति विकसित होगी और समस्त संसार इसका मंगलगान करेगा। यही हुआ। 1674 में हिन्दू राजा के रूप में भगवा ध्वज फहराया। हम सबके लिए यह गौरव की बात है।
इतिहास का विकृत किया गया अध्यक्षता करते हुए भारतीय मजदूर संघ के संरक्षक दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा कि हिन्दू धर्म की रक्षा में छत्रपति शिवाजी और महराणा प्रताप का नाम सर्वोच्च है। शिवाजी महाराज ने समुद्र तल से 1500 मीटर की ऊंचाई पर स्थिति किला जीतकर अपनी मां जीजाबाई को भेंट किया था। महाबलेश्वर स्टेशन से किला देखा ज सकता है। इस किला पर कब्जा करने के बाद ही औरंगजेब को शिवाजी के बारे में जानकारी मिली। उन्होंने कहा कि हमारे इतिहास का विकृत किया गया है। पाठ्य पुस्तकों से हमारे पूर्वज किताब समाप्त कर दी गई है। इतिहास को फिर से लिखने की जरूरत है।
समय पर नहीं आए तो नीचे बैठना पड़ा कार्यक्रम के आमंत्रित अध्यक्ष नवल सिंह विलम्ब से आए, इसलिए उन्हें सबके साथ पंक्ति में बैठना पड़ा। इस मौके पर शाखा कार्यवाह नवीन ने गीत सुनाया। विश्वजीत सिंह ने सुभाषित पढ़ा। राजकिशोर ने मुख्य शिक्षक की भूमिका निभाई।
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