पूज्य संत स्वामी राम प्रपन्नाचार्य जी ने कहा बच्चों को हाथ पकड़कर होटल और बोतल की ओर ले जाने वाले आदर्श माता-पिता नहीं हो सकते। माता पिता के चरणों की सेवा करने वाले की अकाल मृत्यु नहीं होती है। मातृ पितृ भक्त ही गुरु भक्त और गौ भक्त बन सकता है। स्कूल में विद्या का विकास होता है मन का नहीं। श्री कृष्ण ने गोपियों के मन को अपना बना लिया। आज स्वभाव बिगड़ रहा है अतः समाज भी बिगड़ रहा है। सजावट और दिखावट के खर्चों से बचना चाहिए।
स्थान परिवर्तन से विकास संभव है। गौ हत्या भ्रूण हत्या पाप है चोटी हमारी संस्कृति है और आज लोग चोटी देखकर हंसते हैं। आधुनिक शिक्षा और चिकित्सा देश को खोखला कर रही है हिंदू संस्कृति व पर्यावरण की रक्षा के लिए गौ हत्या ,भ्रूण हत्या रोकने के साथ ही बृक्षों के कटान को रोकना होगा। सभी भक्त अधिक से अधिक वृक्ष लगाये। गौदान, कन्यादान और गंगा स्नान से ही कल्याण की प्राप्ति होती है। कथा में भानु देव आचार्य परीक्षित महेश चंद शर्मा, केके भारद्वाज, रघुवीर दास दीक्षित, सोमेश्वर दयाल, जयदीप तिवारी, अर्जुन भक्तमाली, रामप्रकाश शर्मा, महावीर सिंह चाहर, मुन्नालाल कुलश्रेष्ठ, करुणेश कुलश्रेष्ठ, सियाराम लवानियां, राहुल चौधरी, महेंद्र सिंह, सत्यदेव शर्मा आदि प्रमुख मौजूद रहे।