जिला पंचायत की बैठक में अविश्वास प्रस्ताव रखा जाएगा। अगर पक्ष और विपक्ष में हाथ उठाने से बात बन गई तो ठीक है, अन्यथा मतदान कराया जाएगा। सदस्यों को अपने पक्ष में करने के लिए एक माह से कवायद चल रही है। अध्यक्ष पद के दावेदारों ने सदस्यों को अपने कब्जे में ले लिया था। उन घुमाया गया। खातिरदारी की गई। कहा तो यह भी जा रहा है कि सदस्यों को पक्ष में रखन के लिए मुंहमांगी रकम दी गई।
जिला पंचायत में 51 सदस्य हैं। 26 सदस्यों ने एक साथ हाठ उठा दिए तो अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाएगा। जिला पंचायत अध्यक्ष राकेश बघेल ने पहले ही 28 सदस्यों को अपने पक्ष में कर लिया था।
हाईकोर्ट की रोक
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अविश्वास प्रस्ताव लाने वालों को झटका दिया है। अविश्वास प्रस्ताव पर विचार करने के लिए होने वाली बैठक पर रोक तो नहीं लगाई है, लेकिन अगर प्रस्ताव पारित भी हो गया तो न्यायालय की अनुमति लेन होगी। बिना न्यायालय की अनुमति के अविश्वास प्रस्ताव प्रभावी नहीं होगा। इस कारण भी जिला पंचायत अध्यक्ष प्रबल प्रताप सिंह बेफिक्र हैं।
जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव वास्तव में दो सांसदों के अहम का टकराव है। इटावा से सांसद डॉ. रामशंकर कठेरिया और आगरा के सांसद प्रो. एसपी सिंह बघेल के बीच शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है।