बताया जाता है कि जब अटल बिहारी वाजपेयी ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज (लक्ष्मीबाई कॉलेज) में पढ़ाई करते थे तब राजकुमारी कौल नाम की उनकी सहपाठी हुआ करती थीं। अटल जी मन ही मन उन्हें बहुत पसंद करते थे। बताया जाता है कि उन्होंने राजकुमारी के नाम लाइब्रेरी की एक किताब में उनके लिए पत्र भी रखा था, लेकिन उस पत्र का जवाब उन तक कभी नहीं पहुंचा। कुछ समय बाद अटल बिहारी वाजपेयी दिल्ली की राजनीति में सक्रिय हो गए। उधर राजकुमारी कौल का भी विवाह दिल्ली के ही एक प्रोफेसर ब्रिज नारायण कौल से हो गया।
कहा जाता है कि राजकुमारी के विवाह की सूचना से अटल जी काफी आहत हुए थे और उन्होंने इसके बाद कभी विवाह नहीं किया। दिल्ली में अटल और उनकी फिर से मुलाकात हुई। उसके बाद राजकुमारी कौल मरते दम तक उनके साथ रहीं। वे और उनका परिवार ही अटल जी की सेवा करता था। बताया जाता है कि अटल जी पर लिखी गई किताब ‘अटल बिहारी वाजपेयीः ए मैन ऑफ आल सीजंस’ में इस घटना का जिक्र है। 2014 में राजकुमारी कौल का देहांत हो गया। हालांकि उनके करीबियों का मानना था कि उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लिए आजीवन अविवाहित रहने का निर्णय लिया था।
राजकुमारी कौल की बेटी हैं नमिता भट्टाचार्य
जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने थे, तब से उनके सरकारी निवास पर उनके साथ राजकुमारी कौल अपनी बेटी नमिता और दामाद रंजन भट्टाचार्य के साथ रहती थीं। हालांकि अटल जी की दोस्ती की नैतिकता ऐसी थी कि ब्रिज नारायण कौल को इस पर कोई आपत्ति नहीं रही और न ही अटल जी और राजकुमारी कौल का संबंध कभी चर्चा का कारण बना। बाद में अटल जी ने राजकुमारी की बेटी नमिता कौल जो शादी के बाद नमिता भट्टाचार्य हो गईं, को ही गोद ले लिया। यही कारण है कि अटल जी के देहांत के बाद नमिता ने उन्हें मुखाग्नि दी।