उन्होंने कहा कि जनपद में महिलाओं द्वारा परिवार नियोजन के साधनों जैसे- ओरल पिल्स, छाया पिल्स, अंतरा इंजेक्शन, आईयूसीडी, व महिला नसबंदी को अपनाया गया है, परंतु इसके सापेक्ष पुरुष नसबंदी की संख्या बहुत कम है। वर्ष 2018-19 में जून माह तक 535 महिला नसबंदी के सापेक्ष मात्र 36 पुरुषों ने नसबंदी करायी। सीएमओ ने बताया कि 27 जून परिवार नियोजन पखवाड़ा दो चरणों में मनाया जायेगा, जिसमें 27 जून से 10 जुलाई तक दंपत्ति संपर्क पखवाड़ा मनाया जायेगा, जिसमें आशा और एएनएम को उनके क्षेत्र के टार्गेट दंपत्ति को चुनकर उनको परिवार नियोजन के साधनों के बारें में जानकारी देनी है साथ ही उन्हे परिवार नियोजन का कोई भी साधन अपनाने के लिए जागरूक करना है। 11 जुलाई से 24 जुलाई तक जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा मनाया जायेगा, जिसमें शिविर लगाकर लाभर्थियों को परिवार नियोजन की सुविधाएं दी जायेंगी।
उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने विश्व जनसंख्या दिवस पर परिवार नियोजन के लाभार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए पूरी तैयारी कर ली है। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए प्रमुख सचिव व एनएचएम मिशन निदेशक ने वीडियो कान्फे्रसिंग के माध्यम से जिले अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिये गये हैं। इसी सम्बन्ध में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में स्वास्थ्य समिति की बैठक भी आयोजित की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष जनसंख्या स्थिरता दिवस की थीम “परिवार नियोजन से निभाये जिम्मेदारी, माँ और बच्चे के साथ की पूरी तैयारी” तय की गयी है। जिसमें दो बच्चों के अंतराल पर जोर दिया गया है।
डॉ॰ रचना गुप्ता एसीएमओ व नोडल अधिकारी, परिवार कल्याण कार्यक्रम ने बताया कि जनसंख्या नियंत्रण में परिवार नियोजन की बहुत अधिक भूमिका है। इसी के साथ इसमें लाभार्थियों को प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है। नसबंदी कराने वाले पुरुषों को 3000 और महिलाओं को 2000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। इसके अलावा पोस्ट पार्टम स्टरलाइजेशन (प्रसव के तुरंत बाद नसबंदी) कराने वाली महिलाओं को 3000 रुपये और आशा को 400 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है। जबकि अस्थायी विधियों में प्रसव पश्चात आईयूसीडी एवं गर्भपात (स्वतः व सर्जिकल) उपरांत आईयूसीडी, जिसको सरल भाषा में कॉपर-टी कहा जाता है के लिए लाभार्थी को 300 और आशा को 150 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है।