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आगरा

सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को बड़ा झटका, छुटि्टयों को लेकर जारी हुआ नया आदेश

सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को बड़ा झटका लगा है। नए आदेश के मुताबिक अब शिक्षकों का अवकाश लेना आसान नहीं होगा। अब न तो शिक्षक व्हाट्सएप ग्रुप पर मैसेज डालकर छुट्‌टी पर जा पाएंगे और न ही जिला छोड़ सकेंगे। ट्रैक रिकॉर्ड की जांच के बाद ही उनका अवकाश स्वीकृत होगा।

आगराSep 11, 2022 / 09:35 am

lokesh verma

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बात-बात पर अवकास लेने वाले सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों को बड़ा झटका लगा है। नए आदेश के मुताबिक अब सरकारी स्कूलों केे शिक्षकों का अब अवकाश लेना आसान नहीं होगा। अब न तो शिक्षक व्हाट्सएप ग्रुप पर मैसेज डालकर छुट्‌टी पर जा पाएंगे और न ही जिला छोड़ सकेंगे। इसके लिए बाकायदा उन्हें ऑनलाइन अवकाश का आवेदन करना पड़ेगा। जिसके बाद उनका ट्रैक रिकॉर्ड चेक किया जाएगा। ट्रैक रिकॉर्ड की जांच के बाद ही उनका अवकाश स्वीकृत किया जाएगा।
दरअसल, आगरा के बेसिक शिक्षाधिकारी प्रवीण कुमार तिवारी सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के बात-बात पर छुट्टियां लेने से तंग आ चुके हैं। इस कारण बच्चों की पढ़ाई भी बाधित होती है। इसलिए बीएसए ने शिक्षकों के अवकाश को लेेकर सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। उन्होंने अवकाश के आवेदन स्वीकृत करने से पहले शिक्षकों के ट्रैक रिकॉर्ड की जांच शुरू कर दी है। वह सिर्फ उन्हीं शिक्षकों के अवकाश के आवेदन स्वीकृत कर रहे हैं, जिनके छुट्टी लेने के कारण स्वाभाविक हैं। वहीं बेवजह के कारण या फिर बहाने बनाने वाले शिक्षकों के आवेदन को तत्काल निरस्त कर रहे हैं।
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निरस्त कर दिए सैकड़ोंं आवेदन

बता दें कि अगस्त के महीने में बीएसए को एक हजार से अधिक अवकाश के आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से उन्होंने महज करीब 300 आवेदन ही स्वीकृत किए और 550 से अधिक को जांच के बाद निरस्त कर दिया। जबकि बाकी के आवेदन पर खंड शिक्षा अधिकारियों की रिपोर्ट के बाद फैसला लिया।
बीएसए प्रवीण कुमार तिवारी खुद ऑनलाइन आने वाले शिक्षकों के अवकाश के आवेदनों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। वह सबसे पहले आवेदन में छुट्‌टी का कारण चेक करते हैं। इसके साथ उक्त शिक्षक का पिछला छुट्टी का ट्रैक रिकॉर्ड देखते हैं। अगर कारण वाजिब हो तो स्वीकृत करते हैं, अन्यथा निरस्त करते हैं। बीएसए का कहना है कि छुट्टी लेना शिक्षकों का अधिकार है। उन्हें विद्यार्थियों को शिक्षित करने की जिम्मेदारी भी मिली है, बच्चों के पास शिक्षा के अन्य विकल्प नहीं है। शिक्षकों के अधिक छुट्टी लेने से पढ़ाई प्रभावित होती है।

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