वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि वैदिक प्राचीन पौराणिक प्रथाओं में इस पर्व के दिन कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को प्रातःकाल में शरीर की तेल मालिश करके स्नान करने के लिए कहा गया है। इस गोवर्धन पर्व के दिन कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को सभी श्रद्धालु इस दिन घर के द्वार पर गोबर से गोवर्धन पर्वत को प्रतीक रूप में निर्मित करते हैं। उसके तत्पश्चात गोबर का अन्नकूट बनाकर उसके सम्मुख श्रीकृष्ण, गायें, ग्वाल-बालों, इंद्रदेव, वरुणदेव, अग्निदेव और राजा बलि का पूजन किया जाता है। भारत वर्ष में यह पर्व विशेषरूप से किसानों द्वारा मनाया जाता है। महाराष्ट्र में इस दिन को विष्णु अवतार वामन की राजा महाबलि पर विजय के रूप में भी मनाया जाता है। अतः इस पर्व को ‘बलि प्रतिपदा’ एवं ‘बलि पड़वा’ भी कहा जाता है। गुजरात में कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को ‘गुजराती नववर्ष’ के रूप में भी मनाया जाता है।