वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि Ganeshotshav अर्थात गणेश चतुर्थी का उत्सव, 10 दिन के बाद, अनन्त चतुर्दशी के दिन समाप्त होता है और यह दिन गणेश विसर्जन के नाम से जाना जाता है। अनन्त चतुर्दशी के दिन श्रद्धालु-जन बड़े ही धूम-धाम के साथ सड़क पर जुलूस निकालते हुए भगवान गणेश की प्रतिमा का सरोवर, झील, नदी इत्यादि में विसर्जन करते हैं। पंडित प्रमोद गौतम ने गणपति स्थापना और गणपति पूजा मुहूर्त के संदर्भ में बताते हुए कहा कि वैदिक हिन्दू शास्त्रों में ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल के दौरान हुआ था इसीलिए मध्याह्न के समय को Ganesh Puja के लिये ज्यादा उपयुक्त माना जाता है। हिन्दू दिन के विभाजन के अनुसार मध्याह्न काल, अंग्रेजी समय के अनुसार दोपहर के तुल्य होता है।
वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि वैदिक समय गणना के आधार पर, सूर्योदय और सूर्यास्त के मध्य के समय को पांच बराबर भागों में विभाजित किया जाता है। इन पांच भागों को क्रमशः प्रातःकाल, सङ्गव, मध्याह्न, अपराह्न और सायंकाल के नाम से जाना जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन, गणेश स्थापना और गणेश पूजा, मध्याह्न के दौरान की जानी चाहिए। वैदिक हिन्दू ज्योतिष के अनुसार मध्याह्न के समय को गणेश पूजा के लिये सबसे उपयुक्त समय माना जाता है। इसलिये मध्याह्न मुहूर्त में, भक्त-लोग पूरे विधि-विधान से गणेश पूजा करते हैं जिसे षोडशोपचार गणपति पूजा के नाम से जाना जाता है।
अवधि- 2 घण्टे 26 मिनट 12 सितम्बर 2018 को, चन्द्रमा को नहीं देखने का समय- सांय 4 बजकर 7 मिनट से रात्रि 8 बजकर 42 मिनट तक
अवधि- 4 घण्टे 35 मिनट
अवधि -11 घण्टे 50 मिनट चतुर्थी तिथि प्रारम्भ 12 सितम्बर 2018 को सांय 4 बजकर 7 मिनट से और
चतुर्थी तिथि समाप्त 13 सितम्बर 2018 को दोपहर 2 बजकर 51 मिनट पर