पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि पौराणिक गाथाओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण पर स्यमन्तक नाम की कीमती मणि चोरी करने का झूठा आरोप लगा था। झूठे आरोप में लिप्त भगवान कृष्ण की स्थिति देख कर नारद ऋषि ने उन्हें बताया कि भगवान कृष्ण ने भाद्रपद शुक्ल पक्ष की Chaturthi के दिन चन्द्रमा को देखा था। जिसकी वजह से उन्हें मिथ्या दोष का श्राप लगा है। नारद ऋषि ने भगवान कृष्ण को आगे बतलाते हुए कहा कि भगवान गणेश ने चन्द्र देव को श्राप दिया था कि जो व्यक्ति भाद्रपद Shukla Chaturthi के दौरान चन्द्र के दर्शन करेगा वह मिथ्या दोष से अभिशापित हो जाएगा और समाज में चोरी के झूठे आरोप से कलंकित हो जाएगा। नारद ऋषि के परामर्श पर भगवान श्रीकृष्ण ने मिथ्या दोष से मुक्ति के लिए गणेश चतुर्थी के व्रत को किया और मिथ्या दोष से मुक्त हो गए।
चतुर्थी तिथि के प्रारम्भ और अन्त समय के आधार पर चन्द्र-दर्शन लगातार दो दिनों के लिए वर्जित हो सकता है। पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि धर्म सिन्धु के नियमों के अनुसार सम्पूर्ण चतुर्थी तिथि के दौरान Chandra Darshan निषेध होता है। इसी नियम के अनुसार चतुर्थी तिथि के चन्द्रास्त के पूर्व समाप्त होने के बाद भी, चतुर्थी तिथि में उदय हुए चन्द्रमा के दर्शन चन्द्रास्त तक वर्ज्य होते हैं। अगर भूल से गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्रमा के दर्शन हो जाएं तो मिथ्या दोष से बचाव के लिए निम्नलिखित मन्त्र का जाप करना चाहिए।
सिंहः प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हतः
सुकुमारक मारोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः