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Utility News: 37 की जगह अब 39 बीमारियों का होगा फ्री इलाज, जानिए कौन-कौन से रोग इस लिस्ट में शामिल

-जन्मजात रोगों के साथ-साथ टीबी और कुष्ठ रोग को किया गया शामिल।-राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत की जा रही बीमारियों की स्क्रीनिंग

आगराOct 31, 2019 / 10:18 am

suchita mishra

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आगरा। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) National Child Health Program की टीम अब 37 की जगह 39 बीमारियों की स्क्रीनिंग करेगी। अभी तक आरबीएसके टीम जन्म से लेकर 18 साल तक के बच्चों में जन्मजात दोषों व रोगों को मिलाकर 37 बीमारियों की स्क्रीनिंग करती थी, लेकिन अब टीम टीबी और कुष्ठ रोग जैसी बीमारियों की भी स्क्रीनिंग करेगी। अभी हाल ही में सीएमओ कार्यालय स्थित सभागार में जनपद के 15 ब्लाकों के आरबीएसके टीम के सदस्यों को एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। इस दौरान विशेष रूप से टीबी (TB) और कुष्ठ रोग (Leprosy) जैसी बीमारियों से ग्रसित बच्चों के परीक्षण की विधि के बारे में बताया गया।
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37 की जगह अब 39 बीमारियों का होगा फ्री इलाज
18 साल तक के बच्चों का इलाज
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. मुकेश कुमार वत्स ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत संचालित राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की टीम को कुष्ठ रोग (लेप्रोसी), टीबी (Tuberculosis) व अन्य स्वास्थ्य दशाओं की जांच के संबंध में प्रशिक्षण दिया गया है। उन्होंने बताया कि अभी तक आरबीएसके की टीमें जन्म से लेकर 18 साल तक के बच्चों में जन्मजात दोषों, डिफिशिएंसी, विकास में देरी व किशोर-किशोरी स्वास्थ्य की स्क्रीनिंग करती है। इसके लिए स्कूलों में प्रतिवर्ष एक बार और आंगनबाड़ी केंद्रों में प्रतिवर्ष दो बार भ्रमण कर जांच किया जाता है। यहां से जो बच्चे जन्मजात दोषों से ग्रसित मिलते हैं उन्हें उपचार कराने के लिए संबंधित सीएचसी/पीएचसी एवं उच्च स्तरीय चिकित्सालय पर संदर्भित किया जाता है। जहां बीमारी के अनुरूप बच्चों का उपचार चलता है। आवश्यकता पड़ने पर बच्चों को जनपद के बाहर के अस्पतालों में भी भेजा जाता है। कुछ समय पहले तक आरबीएसके 37 बीमारियों के लिए ही स्क्रीनिंग कर रही थी। अब इन दो बीमारियों का प्रशिक्षण मिलने के साथ 39 से ज्यादा बीमारियों की स्क्रीनिंग की जिम्मेदारी टीमों के ऊपर होगी जिसमें टीबी (क्षय रोग) और कुष्ठ रोग भी शामिल हो गया है।
टीबी और कुष्ठ रोगी बच्चे भी ढूंढे जाएंगे
एनएचएम के डीईआईसी मैनेजर रमाकान्त ने बताया कि 15 ब्लाकों में तैनात आरबीएसके की सभी 30 टीमों को जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ यू बी सिंह और जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ सन्त कुमार द्वारा प्रशिक्षण दिया गया है। टीमें अब स्कूलों और आंगनबाड़ी केन्द्रों पर भ्रमण और स्क्रीनिंग के दौरान टीबी और कुष्ठ रोग से पीड़ित बच्चों की भी स्क्रीनिंग करेगी।
इन बीमारियों का इलाज
न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट, डाउन सिंड्रोम, क्लफ्ट लीफ एंड पैलेट (कटा होठ व तालू), क्लब फुट (टेढ़े-मेढ़े पैर), डेवलपमेंट डिस्प्लेजिया आफ हिप, कंजेनाइटल कट्रैक्ट(जन्मजात मोतियाबिंद), कंजेनाइटल डीफनेस (जन्मजात बहरापन), कंजेनाइटल हार्ट डिजीज, रेटिनोपैथी आफ प्रीमेच्योरिटी, एनीमिया, विटामिन ए की कमी, रिकेट्स, अति कुपोषण, घेंघा, चर्म रोग, ओटाइटिस मीडिया (कान बहना), रुमैटिक हार्ट डिजीज, रिएक्टिव एयरवे, डेंटल कंडीशन, कंवर्जन डिसआर्डर, विजन इंपेरिमेंट (आंख से जुड़ी समस्याएं), हियरिंग इंपेरिमेंट (कान से जुड़ी दिक्कतें), न्यूरोमोटर इंपेरिमेंट, मोटर डिले, कांग्नीटिव डिले, स्पीच एंड लैंग्वेज डिले, विहैबियर डिसआर्डर, लर्निंग डिसआर्डर, अटेंशन डिफीसीट हाइपर एक्टिविटी डिसआर्डर, ग्रोइंग अप कंसर्न, सबस्टेंस एब्यूज, फील डिप्रैस्ड, किशोरियों के मासिक धर्म में देरी, मासिक धर्म के दौरान पेशाब में जलन, मासिक धर्म के दौरान दर्द, पानी आना व बच्चों और किशोरों की अन्य बीमारियों की पहचान कर उसका इलाज किया जाता है।

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