वैसे तो ये साइकिल आम दिखने वाली साइकिलों की तरह ही है, लेकिन इसमें जो सिस्टम लगाया गया है, वो बेहद खास है। इस साइकिल पर लकड़ी से तैयार किया गया एक पूरा सिस्टम है, जो एक चाय की की छोटी सी दुकान के रूप में है। इस सिस्टम में गैस सिलेंडर, स्टोव के अलावा चाय के साथ खाने के लिए स्नैक्स भी रखे जा सकते हैं। चाय बनाने की केतली से लेकर पानी को गर्म करने की केतली भी इस साइकिल के अंदर रखी जा सकती है। इसके अलावा चाय परोसने वाले गिलास भी साइकिल के अंदर मौजूद है, जो महज एक बटन दबाने से बाहर निकल आते हैं।
पूरन डाबर ने बताया कि आज रोजगार की कमी नहीं है, बस काम करने वालों की कमी है। कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता है। छोटी सी शुरुआत ही हर काम को बड़ा बनाती है। उन्होंने बताया कि पढ़ाई लिखाई करने के बाद युवा महज सात से आठ हजार रुपये की नौकरी के लिए परेशान रहता है, ऐसे में यदि इस साइकिल को अपना ले, और एक सिस्टम के तहत इस काम की शुरुआत करें, तो 60 हजार रुपये हर माह कमा सकता है। एक दिन में दो हजार रुपये की बचत आराम से हो सकती है।
पूरन डाबर ने बताया कि इस साइकिल को ऐसे स्थान पर खड़ा किया जाए, तो वीआईपी क्षेत्र में शुमार हैं। जैसे ताजमहल के पास। वहां पर यदि इस साइकिल को खड़ा किया जाए, तो शानदार दिखने वाली इस साइकिल की ओर पहले से ही लोग आकिर्षत होंगे। इसके अलावा उन्हें जब इस साइकिल पर ग्रीन टी, जिंजर टी जैसी चाय मिलेगी, तो वह बड़ी ही आसानी से इसे खरीदेंगे। चाय की कीमत 20 रुपये रखें और चाय बनाने की कॉस्ट अधिक से अधिक 4 से पांच रुपये आती है। इसके अलावा खाने के सामान में भी बचत होती है। यदि एक दिन में 100 चाय और अन्य सामान बेचते हैं, तो भी आसानी से 2 हजार रुपये तक की बचत हो जाएगी।
उन्होंने बताया कि सक्षम डावर मेमोरियल ट्रस्ट सीएसआर के मध्यम से साइकिल को निःशुल्क भी उपलब्ध करा सकता है। जरूरत इस बात की है कि काम करने वाला चाहिए। शिल्पग्राम रोड पर साइकिल खड़ी करने की अनुमति भी जिलाधिकारी से दिलवा देंगे। उन्होंने कहा कि पूरे सिस्टम में प्लास्टिक का कहीं भी उपयोग नहीं किया जा रहा है। गंदगी नाममात्र के लिए भी नहीं होगी। चाय भी इस तरह से बनानी है कि छानने की जरूरत भी नहीं होगी। ये सर्दी का मौसम है। साइकिल पर चाय के लिए सबसे सटीक समय है। अपने पैरों पर खड़े होने के इच्छुक लोग डावर शू फैक्टरी, सिकंदरा पर संपर्क कर सकते हैं। एक घंट में ही प्रशिक्षण दे दिया जाएगा। आगे जाकर साइकिल में बैटरी लगाई जा सकती है, ताकि चलाने में कोई समस्या न आए।