आगरा के विश्वकर्मा विहार निवासी देशराज सिंह चाहर ने इस मामले में मई 2024 में डीसीपी सिटी से शिकायत की थी। पुलिस ने पहले जांच कराई। बिल्डर जब प्लाट पर बना मकान देने को तैयार नहीं हुआ तब मुकदमा लिखा गया है। देशराज सिंह ने पुलिस को बताया कि गैलेक्सी निर्माण (राजदरबार ग्रुप) लाजपत नगर,
नई दिल्ली का साइट ऑफिस नरसी विलेज मघटई में है।
नरसी विलेस कॉलोनी में क्रिकेटर के पिता ने बुक कराए थे दो प्लॉट
कंपनी के मालिक वासुदेव गर्ग ने नरसी विलेस नाम से कॉलोनी बनाई है। उन्होंने उस कालोनी में दो प्लाट बुक कराए थे। कंपनी को मकान बनाकर देना था। प्लाट नंबर 182 गीतम सिंह व 587 रुकुम पाल सिंह के नाम 11 अगस्त 2012 को बुक कराए थे। बिल्डर ने प्लाट नंबर 587 पांडव नगर निवासी लवकांत व कुशकांत को वर्ष 2016 में बेच दिया। जानकारी पर उन्होंने वासुदेव गर्ग से संपर्क किया। राहुल चाहर के नाम ट्रांसफर कराने के लिए 2018 में आवेदन किया
वासुदेव गर्ग ने प्लाट नंबर 587 के लिए जमा कराए गए चार लाख के एवज में 6.80 लाख रुपये वर्ष 2017 में वापस कर दिए। उनसे कहा कि चिंता नहीं करें। प्लाट नंबर 182 पुराने रेट पर ही मिलेगा। उन्होंने प्लाट 182 अपने बेटे राहुल चाहर के नाम ट्रांसफर कराने के लिए वर्ष 2018 में आवेदन किया। कंपनी ने ट्रांसफर फीस 32 हजार रुपये जमा कराई। ट्रांसफर एग्रीमेंट कंपनी में जमा कराया गया था, जिसे आज तक कंपनी ने उन्हें नहीं सौंपा।
उन्होंने प्लाट पर मकान बनाने का शेष बकाया कुल 26.50 लाख रुपये दिए। एडीए से कॉलोनी का सही नक्शा पास नहीं था। एडीए ने रोक लगा दी थी। निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया। मकान फट गया था। वर्ष 2023 में मकान का निर्माण पूरा हुआ। तब से बिल्डर ने बैनामा नहीं किया है।
हत्या की मिली धमकी
राहुल चाहर के पिता का आरोप है कि वह पांच जून 2024 को आखिरी बार कंपनी के कर्मचारी अरुण गुप्ता व पीयूष गोयल से मिले। बैनामा करने को कहा। आरोपियों ने उन्हें गाली देते हुए हत्या की धमकी। उसके बाद वह किसी से नहीं मिले। डीसीपी सिटी सूरज कुमार राय ने बताया कि तहरीर पर जांच कराई गई थी। मकान के लिए किए गए भुगतान के राहुल चाहर के पिता के पास प्रमाण हैं। उसी आधार पर मुकदमा लिखा गया है। साक्ष्यों के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
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