यह परिवाद
आगरा के आरबीपुरम मौहल्ले में रहने वाले पंकज उपाध्याय ने प्रस्तुत किया है। पंकज उपाध्याय के अनुसार घटना 18 अप्रैल की है। वह अपने मकान में बनी दुकान से घर के लिए जरूरी सामान निकाल रहे थे। इसी दौरान फाउंड्री नगर चौकी प्रभारी विनीत राणा चार-पांच पुलिसकर्मियों के साथ पहुंच गए। आरोप है कि चौकी प्रभारी ने उन्हे डंडों से पीटा। लॉकडाउन में दुकान खोलने का आरोप लगाते हुए उनकी मूक-बधिर मां किरन देवी से भी मारपीट कर दी। इतना ही नहीं पत्नी ज्योति समेत पिता प्रमोद उपाध्याय, भाई हरि गोपाल और भाभी वर्षा को भी पीट दिया। आरोप है कि इसके बाद। पुलिसकर्मी धमकी देकर चले गए। कुछ देर बाद फिर आए और घर में घुस आए और परिवार के कई लोगों को अपने साथ ले गई। इतना ही नहीं दूसरी बार भी घर की महिलाओं और मासूम बच्चों के साथ मारपीट की।
इसके बाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज करके माता-पिता, पत्नी, भाई और भाभी समेत उन्हे गिरफ्तार कर लिया। पहले जिला अस्पताल में मेडिकल कराया और फिर पुलिस थाने ले गए। थाने ले जाकर एक बार फिर से सभी की पिटाई कर दी यह भी आरोप है पिटाई के वक्त एसरपी सिटी भी माैजूद रहे। पीड़ित पंकज के अनुसार विधायक और सांसद ने उनका मामला उठाया तो पुलिस ने जानलेवा हमला और 7 क्रिमिनल ला अमेंडमेंट एक्ट की धारा को हटाया जिसके बाद उन्हे उन्हे जमानत मिल सकी। अब इस पीड़ित परिवार ने एसपी सिटी समेत अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ बलवा, गाली-गलौज, धमकी, घर में घुसकर मारपीट और जानलेवा हमले के आरोप लगाते हुए कोर्ट में वाद प्रस्तुत किया। इसमें एसपी सिटी बोत्रे रोहन प्रमोद, चौकी प्रभारी विनीत राणा, एसआई योगेश कुमार, एसआई नीतू शर्मा, एसआई रोहित आर्य, पुलिसकर्मी प्रियंका यादव काे नामजद किया गया है जबकि 15 से 20 पुलिसकर्मी अज्ञात हैं।